जल्द पानी से दौड़ेंगी ट्रेनें, तैयारी हुई पूरी
कानपुरPublished: Nov 24, 2018 04:01:41 pm
ट्रेन को अब पानी से चलाने की तैयारी पूरी हो गई है. बताया गया है कि इस ट्रेन को जल जनक रेल कहा जाएगा. इसके शुरू होने से न तो महंगा डीजल और न ही बिजली का खर्च होगा. जमीन से कोयला निकालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. इसको लेकर बताया गया है कि ट्रेन में ईंधन के लिए हाइड्रोजन का प्रयोग किया जाएगा.
जल्द पानी से दौड़ेंगी ट्रेनें, तैयारी हुई पूरी
कानपुर। ट्रेन को अब पानी से चलाने की तैयारी पूरी हो गई है. बताया गया है कि इस ट्रेन को जल जनक रेल कहा जाएगा. इसके शुरू होने से न तो महंगा डीजल और न ही बिजली का खर्च होगा. जमीन से कोयला निकालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. इसको लेकर बताया गया है कि ट्रेन में ईंधन के लिए हाइड्रोजन का प्रयोग किया जाएगा. दिसंबर 2019 तक ट्रेन पर काम हो जाएगा. परीक्षण के बाद रेल मंत्रालय इसका इस्तेमाल बेझिझक होकर कर सकेगा. इस बात की जानकारी इसरों के पूर्व निदेशक और एसआरएम यूनिवर्सिटी के प्रो. वाइस चांसलर प्रो. डी. नारायन राव ने दी. उन्होंने कहा कि यह ट्रेन चेन्नई में स्थित रेल मंत्रालय की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के साथ मिलकर बनाई जा रही है.
ऐसी मिली है जानकारी
डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर अवधपुरी में आयोजित इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए प्रो. राव ने कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की. स्पेस टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञ प्रो. राव ने इस बारे में बताया कि वर्तमान में वह स्मॉल सेटेलाइट पर कार्य कर रहे हैं. इसकी डिजाइन वर्ष 2021-2022 तक तैयार हो जाएगी. स्मॉल सेटेलाइट बनने से कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी. स्पेस में भेजने का खर्च काफी कम हो जाएगा. इसके साथ ही छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने के लिए भी सेटेलाइट का प्रयोग किया जा सकेगा. इसी तरह थ्रीडी प्रिंटिग ऑफ गोल्ड पर भी रिसर्च चल रहा है.
इस क्षेत्र में है भारत आगे
प्रो. राव ने मौके पर कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी में इंडिया की प्रतिभा के सामने सभी देश बौने साबित होते हैं. भले ही अमेरिका और चीन स्पेस में लगातार सेटेलाइट स्पेस में भेजकर खुद को टेक्नोलॉजी में बेहतर साबित करने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन ये हकीकत है. अमेरिका और चीन को सेटेलाइट भेजने में हमेशा दूसरी या तीसरी बार में सफलता मिलती है.