सिटी में 4900 के लगभग डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मर लगे हुए हैं. इनके जरिए घर, ऑफिस, मार्केट और फैक्ट्रीज को बिजली पहुंचती है. केस्को ऑफिसर्स के मुताबिक इनमें से सैकड़ों की संख्या में ट्रांसफॉर्मर दशकों पुराने है. जो अपनी उम्र पूरी कर चुकी है. यही नहीं ये दर्जनों बार डैमेज भी हो चुके हैं. हर बार इन्हें रिपेयर कर लगा दिया जाता है. इससे एक तो ये ट्रांसफॉर्मर लाइन लॉस की वजह साबित हो रहे हैं.
दूसरे जल्दी-जल्दी डैमेज हो जाते हैं. इससे लोगों को 6 से लेकर 12-12 घंटे तक पॉवर क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है. केस्को ने ऐसे ट्रांसफॉर्मर पॉवर सप्लाई सिस्टम से हटाने की तैयारी कर ली है. इसके लिए कमेटी भी बना दी है. फिलहाल कोर डैमेज, अनसर्विसेबल वाले 279 ट्रांसफॉर्मर चुने गए हैं. इनकी जगह 460 करोड़ के इंटीग्र्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम के अन्र्तगत नए ट्रांसफॉर्मर लगाए जाएंगे. केस्को के डायरेक्टर टेक्निकल ने बताया कि कोर आदि डैमेज होने की वजह ट्रांसफॉर्मर के कारण लाइनलॉस भी अधिक हो रहा है. जल्दी-जल्दी फॉल्ट व डैमेज होने की वजह से लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
लाइनलॉस को लेकर केस्को की आंकड़ेबाजी अब नहीं चलने वाली है. आने वाले दिनों में शासन सीधे मानीटरिंग करेगा. केस्को के 11 केवी के सभी 526 फीडर की रिपोर्ट सीधे यूपीपीसीएल के पोर्टल पर जाएगी. इससे बिजली चोरी व लाइनलॉस को लेकर केस्को का खेल खुलकर सामने आ जाएगा. बिजली चोरी रूकने से लोगों को भी पॉवर क्राइसिस से छुटकारा मिल जाएगा.