३०० सारंग तैयार करने का आर्डर
आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री अर्मापुर में वरिष्ठ महाप्रबंधक एमके गर्ग ने सारंग को गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर के लिए रवाना किया। एक हफ्ते में पांच और सारंग जाएंगी। सेना से 300 सारंग का आर्डर मिल चुका है। इसमें 150 ओएफसी और 150 फील्ड गन फैक्ट्री को तैयार करना है। इस साल 50 सारंग सेना को सौंप दी जाएंगी। ओएफसी को एक उपलब्धि ये भी हासिल हुई है कि दक्षिण पूर्व एशिया के एक देश ने फैक्ट्री को दस हजार रोशनी देने वाले बम का आर्डर दिया है।
आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री अर्मापुर में वरिष्ठ महाप्रबंधक एमके गर्ग ने सारंग को गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर के लिए रवाना किया। एक हफ्ते में पांच और सारंग जाएंगी। सेना से 300 सारंग का आर्डर मिल चुका है। इसमें 150 ओएफसी और 150 फील्ड गन फैक्ट्री को तैयार करना है। इस साल 50 सारंग सेना को सौंप दी जाएंगी। ओएफसी को एक उपलब्धि ये भी हासिल हुई है कि दक्षिण पूर्व एशिया के एक देश ने फैक्ट्री को दस हजार रोशनी देने वाले बम का आर्डर दिया है।
रूसी तोप से ज्यादा ताकत
तोप की कीमतों को लेकर वरिष्ठ महाप्रबंधक ने कहा कि अगर लागत ज्यादा है तो गुणवत्ता भी बेजोड़ है और सर्विस बेहद सस्ती है। सारंग तोप रूसी तोप एम-46 टाउड को रिप्लेस करेगी। गन कैरिज फैक्ट्री रवाना करने से पहले सारंग का इटारसी में प्रूफ परीक्षण किया गया था। कैरिज पर बैरल आने के बाद अंतिम रूप से हाई प्रेशर टेस्टिंग की जाएगी। यह तोप 1968 से सेना के पास है।
तोप की कीमतों को लेकर वरिष्ठ महाप्रबंधक ने कहा कि अगर लागत ज्यादा है तो गुणवत्ता भी बेजोड़ है और सर्विस बेहद सस्ती है। सारंग तोप रूसी तोप एम-46 टाउड को रिप्लेस करेगी। गन कैरिज फैक्ट्री रवाना करने से पहले सारंग का इटारसी में प्रूफ परीक्षण किया गया था। कैरिज पर बैरल आने के बाद अंतिम रूप से हाई प्रेशर टेस्टिंग की जाएगी। यह तोप 1968 से सेना के पास है।
40 करोड़ के बम का ऑर्डर
ओएफसी को रात में रोशनी देने वाले गोलों (155एएम शेल) का आर्डर दक्षिण पूर्वी देश से मिला है। दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। दस हजार शेल का आर्डर मिल चुका है। जिसकी कीमत करीब 40 करोड़ रुपए है। दुनिया के कई देशों ने छोटी गन की मांग की है इसलिए अब छोटी गन पर काम किया जा रहा है।
ओएफसी को रात में रोशनी देने वाले गोलों (155एएम शेल) का आर्डर दक्षिण पूर्वी देश से मिला है। दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। दस हजार शेल का आर्डर मिल चुका है। जिसकी कीमत करीब 40 करोड़ रुपए है। दुनिया के कई देशों ने छोटी गन की मांग की है इसलिए अब छोटी गन पर काम किया जा रहा है।
155 कैलिबर की बनेगी तोप
आयुध निर्माणियां नाटो देश की तर्ज पर आयुध तैयार कर रही हैं। निर्माणियां अब तोप, बैरल आदि 155 कैलिबर की बना रही हैं। 130 एमएम वाली सभी तोपों, टैंकों को 155 कैलिबर में अपग्रेड किया जा रहा है। नाटो देशों में ऐसा ही होता रहा है। ऐसा होने से एक प्रकार के ही तोप के गोले आदि बनाए जा सकेंगे। इससे अलग-अलग किस्म के गोले आदि नहीं तैयार करने पड़ेंगे। इससे उत्पादन भी तेजी से हो सकेगा।
आयुध निर्माणियां नाटो देश की तर्ज पर आयुध तैयार कर रही हैं। निर्माणियां अब तोप, बैरल आदि 155 कैलिबर की बना रही हैं। 130 एमएम वाली सभी तोपों, टैंकों को 155 कैलिबर में अपग्रेड किया जा रहा है। नाटो देशों में ऐसा ही होता रहा है। ऐसा होने से एक प्रकार के ही तोप के गोले आदि बनाए जा सकेंगे। इससे अलग-अलग किस्म के गोले आदि नहीं तैयार करने पड़ेंगे। इससे उत्पादन भी तेजी से हो सकेगा।
सारंग सबसे खतरनाक
सारंग इजरायली तोप सॉल्टम का ही आधुनिक संस्करण है। इसकी कैलिबर 135 अब 155 एमएम की गई है। सारंग का परीक्षण सिक्किम की बेहद ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर जैसलमेर के तपते रेगिस्तान में किया गया। दोनों ही माहौल में ये सौ फीसदी सफल रही। इसकी ताकत इसकी एक्यूरेसी है, जो दुनिया की किसी तोप में नहीं पाई जाती। 17 जनवरी को बालासोर स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला प्रूफ एंड इस्टेबिलिशमेंट में इसका परीक्षण किया गया था।
सारंग इजरायली तोप सॉल्टम का ही आधुनिक संस्करण है। इसकी कैलिबर 135 अब 155 एमएम की गई है। सारंग का परीक्षण सिक्किम की बेहद ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर जैसलमेर के तपते रेगिस्तान में किया गया। दोनों ही माहौल में ये सौ फीसदी सफल रही। इसकी ताकत इसकी एक्यूरेसी है, जो दुनिया की किसी तोप में नहीं पाई जाती। 17 जनवरी को बालासोर स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला प्रूफ एंड इस्टेबिलिशमेंट में इसका परीक्षण किया गया था।