बढ़ गई गलन
सर्द हवाओं के बीच शहरवासियों को ठंड और कोहरे की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। शीतलहर के कारण गलन और भी बढ़ गई है। सोमवार की सुबह कोहरे व धुंध के साथ हुई। दिन चढ़ने के साथ सूर्यदेव तो निकलने लेकिन सर्द हवाओं से राहत नहीं मिली। शहर का न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। जिसके कारण शहर के सरकारी व प्राईवेट अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इसी बीच बुजुर्ग महिला बुधिया की ठंड लगने के कारण मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि रविवार को बुधिया की तबियत ठीक थी, लेकिन आज सुबह ,उसके सीने में अचानक दर्द हुआ। हम उसे लेकर अस्पताल जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसकी सांस थम गई।
हरदिन बढ़ रही संख्या
गलन बढ़ने के साथ ब्रेन स्ट्रोक और दिल के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। हैलट, उर्सला और कॉर्डियोलॉजी के बेड मरीजों से भर गए हैं। मंगलवार को कार्डियालॉजी में 77 तो बुधवार को 40, गुरूवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को दो सौ से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आए। जिसमें कॉर्डियालॉजी में अकेले 15 मरीजों की मौत हो गई, वहीं पांच लोग अन्य अस्पतातों में दम तोड़ा। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज एहतियात नहीं बरत रहे हैं। पुरानी दवाओं के डोज अभी भी ले रहे हैं। अधिकतर मरीज पिछले एक साल से डायबटीज की दवा खा रहे हैं। ऐसे मरीजों को तत्काल डॉक्टर के पास जाकर इलाज के साथ जांच करवानी चाहिए। हैलट मेडिसिन विभाग के डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि शनिवार को दस तो रविवार की शम तक ब्रेन स्ट्रोक के पांच मरीज अस्पताल में एडमिट किए गए।
सीधे कार्डियोलॉजी पहुंचे
कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा ने बताया कि जाड़े में नसें सिकुड़ती हैं। जो पहले से हृदय रोगी हैं, वे खासतौर पर इस सीजन में एहतियात बरतें। तबीयत खराब लग रही तो सीधे कार्डियोलॉजी पहुंचे। यहां सारी व्यवस्था करा दी गई है। डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि ब्लड प्रेशर बढ़ने से खून का थक्का जम जाता है, जिससे ब्रेन अटैक पड़ रहा है। मरीजों को सर्दी से बचाएं। ब्लडप्रेशर की जांच कराकर दवा की डोज समय पर दें। सुबह और रात को ठंड में बाहर न निकलें। रोज ढाई से तीन लीटर पानी पिएं, जिससे खून गाढ़ा न हो। तली-भुनी चीजों और गरिष्ठ भोजन से बचें।