छह छोटे दलों को जोडऩे की मुहिम में जुटे हैं राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर एनडीए गठबंधन से अलग होकर दूसरा गठबंधन बनाने की तैयारी में जुटे हैं। उम्मीद है कि इसी साल अक्टूबर के अंत में यह गठबंधन अस्तित्व में आएगा। इंतजार है तो सिर्फ ठोस कारण सामने रखने के लिए एक मुद्दे का। राजभर पिछड़ी जातियों के आरक्षण में बंटवारे पर भाजपा नेतृत्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। मन-माफिक बंटवारा नहीं होने की स्थिति में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में ओमप्रकाश राजभर खुद को एनडीए गठबंधन से अलग कर लेंगे। भाजपा से अलग होने पर ओम प्रकाश राजभर पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले छह छोटे दलों को इक_ा करेंगे। इस मुद्दे पर संबंधित दलों के नेताओं से बातचीत जारी है। चर्चा है कि बाबू सिंह कुशवाहा, शिवशंकर चौहान, प्रेमचंद्र प्रजापति, जय प्रकाश निषाद, विश्वामित्र पाल और कृष्णा पटेल के दल को जोडक़र राजभर नया मंच बनाएंगे। इन लोगों को जोडऩे के बाद प्रदेश की 40 से अधिक सीटों पर उनका गठबंधन मजबूत दावा पेश करेगा। गठबंधन की शर्तों को जो बड़े दल मानेंगे, उसके साथ 2019 के चुनाव में जाएंगे। .
भाजपा को अपने फैसले से राजभर ने अवगत कराया खबर है कि राजभर ने भाजपा नेतृत्व को बता दिया है कि सपा-बसपा गठबंधन की एकमात्र काट पिछड़ी जातियों के आरक्षण में बंटवारा है। पिछड़े वर्ग के आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटकर ही मिशन 2019 को फतेह कर सकते हैं। भाजपा नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव से छह माह पूर्व यानी अक्टूबर तक इस बंटवारे पर फैसला लेने का भरोसा दिया है। इसी कारण राजभर अक्टूबर तक इंतजार करेंगे। हालांकि अंदरखाने खबर है कि बीते दिनों वाराणसी में सपा के वरिष्ठ नेता और अखिलेश यादव से नाराज उनके सगे चाचा शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात के बाद ही राजभर नए गठबंधन की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। राजभर की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा का यूपी में नुकसान तय है। ऐसे में नये गठबंधन के जरिए तीसरे मोर्चे के साथ गलबहियां करना आसान रहेगा।