यह हड़ताल कानपुर देहात में भी देखने को मिली, जब जनपद के 108 और 102 एंबुलेंस सर्विस के ड्राइवर भी अपनी-अपनी एंबुलेंस खड़ी करके हड़ताल पर चले गए। ड्राइवरों का यह कहना है कि नए पायलट प्रोजेक्ट के आने से उनकी कई सारी समस्याएं हो सकती हैं। नए पायलट प्रोजेक्ट में 108 एंबुलेंस को प्रति केस के हिसाब से ₹100 दिया जाएगा और 102 एंबुलेंस के ड्राइवर को प्रति केस के हिसाब से ₹60 दिया जाएगा। ड्राइवरों का कहना है कि अगर किसी दिन एक भी केस ना रहा तो उनके बच्चे भूखे मरेंगे, क्योंकि उन्हें उस दिन का पैसा नहीं मिलेगा। ड्राइवरों ने इसका पूरा आरोप एंबुलेंस सर्विस चला रही संस्था जीवीके एमआरआई पर लगाया है, जो यह एंबुलेंस सेवा संचालित करती है।
ड्राइवरों ने कहा है कि हम लोग से 12 घंटे ड्यूटी ली जाती है और 8 घंटे की पगार मिलती है। जबकि हमें अतिरिक्त 4 घंटे का ओवरटाइम चाहिए। उन्होंने बताया कि विगत 3 महीने से वेतन ना मिलने की वजह से मजबूरन एंबुलेंस को खड़ा करके हड़ताल में जाना पड़ रहा है। ड्राइवरों ने कहा कि हम लोग एंबुलेंस चलाकर समाज की सेवा ही करते हैं लेकिन जब उनके जीविका पर कोई असर आएगा तो कैसे काम चलेगा? सरकार इस विषय को गंभीरता से नही ले रही है और ना ही जीवीके एमआरआई संस्था भी। एंबुलेंस ड्राइवरों का कहना है कि जीबीकेएम राय से टेंडर रद्द करके टेंडर एनआरएचएम सरकारी संस्था को दिया जाए। एंबुलेंस ड्राइवरों ने कहा कि जीवीके एमआरआई 24 घंटे भी कभी-कभी ड्यूटी ले लेती है, जिससे ड्राइवरों की तबीयत खराब होने की स्थिति भी बन जाती है। ड्राइवरों ने प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कुल मिलाकर 11 बिंदु है, जिसको सरकार अमल में लाएं, तभी वह लोग हड़ताल को खत्म करेंगे।