कानपुर

गब्बर सिंह टैक्स ने तोड़ दी कमर, 5 सौ फैक्ट्रियां कानपुर में हुई बंद

जीएसटी के एक साल पूरे होने के बाद भी व्यापारी और ग्राहक अनजान, छोटे कारोबारियों के लिए अघात

कानपुरJul 01, 2018 / 01:17 pm

Vinod Nigam

गब्बर सिंह टैक्स ने तोड़ दी कमर, 5 सौ फैक्ट्रियां कानपुर में हुई बंद

कानपुर। एक साल पहले मोदी सरकार ने देश में गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू किया था। जिसके चलते व्यापारियों का एक वर्ग इसके खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक लड़ता आ रहा है। सरकार ने करप्शन को रोकने के लिए यह कानून बनाया, लेकिन 365 दिन बीत जाने के बाद इससे न तो ग्राहकों को लाभ हुआ और न ही छोटे कारोबारियों को। व्यापारी नेता उमंग अग्रवाल कहते हैं कि जीएसटी लागू हो जाने से कानपुर में अकेले छोटी-बड़ी लगभग पांच सौ फैक्ट्रियां बंद हो गई। पीएम मोदी के अधिकारियों ने जीएसटी के नाम पर जमकर व्यापारियों का उत्पीड़न किया। जीएसटी भवन में लगा पोर्टल साल भर में महज 40 से 50 दिन ही चल पाया। ं जीएसटी की जटिलताएं इतनी ज्यादा हैं कि व्यापारी कारोबार छोड़कर जीएसटी भवन में समय लगाने को मजबूर हुए। उमंग कहते हैं कि मोदी सरकार ने व्यापारियों पर इमरजेंसी जैसा आघात किया है, जिसका खामियाजा उन्हें लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।
नहीं सीख पाए जीएसटी का ककहरा
1 जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने संसद में जीएसटी बिल को पास करा इसे लागू कर दिया। 365 दिन बीत जाने के बाद व्यापारी और ग्राहक जीएसटी के ककहरे से अभी भी अंजान है। व्यापारी व दुकानदार ग्राहकों को पुराने रेट पर ही सामान दे रहे हैं। वर्जिनल रसीद मांगने पर उन्हें फर्जी कागज का टुकड़ा पकड़ा दिया जाता है। वहीं व्यापारी नेता उमंग अग्रवाल के मुताबिक एक साल गुजर गया लेकिन अभी तक पूरे रिटर्न ही लागू नहीं हो सके हैं। विक्रेता रिटर्न में कोई गलत इंट्री कर रहे हैं तो खरीदार उसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं। उमंग कहते हैं कि कारोबारी अब तक समझ नहीं पा रहे कि क्या करें। पोर्टल में शिकायत दर्ज नहीं होती। जीएसटी भवन पर बैठे अधिकारी पूछने पर कुठ बताने को तैनार नहीं होते। हां व्यापारियों का उत्पीड़न करने के लिए उनके ट्रकों, गोदामों और फक्ट्रियों में छापे जरूर मार रहे हैं। सरकार का यह कदम कानपुर के व्यापारियों के लिए बहुत खरनाक साबित हुआ। जीएसटी के चलते कारोबार बंद हुए तो युवाओं के हाथों से रोजगा छिना।
गुरू क्या है जीएसटी ?
जीएसटी से लाभ और हानि के बारे में जब बाजार में जाकर ग्राहकों से जानकारी की गई तो 90 फीसदी लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं था। सोमदत्त प्लॉजा में मोबाइल लेने के लिए आए आजाद नगर निवासी पवन सिंह ने बताया कि सैमसंग का मोबाइल खरीदा है। दूकानदार ने कच्च्ी रसीड थमा दी है। जब हमने इसे मोबाइल की कीमत दिल्ली में बैठे अपने मित्र से की तो उसने बताया कि दुकानदार ने तुमसे दो हजार रूपए ज्यादा वसूले हैं। हम दुकान पर जाकर उनके मालिक से बात की तो उसने कहा गुरू पीएम मोदी के गब्बर सिंह टैक्स के चलते हमने दो हजार रूपए ज्यादा लिए हैं। कानपुर में इस मोबाइल के यही रेट हैं। पवन कहते हैं कि हमने अन्य दुकानों में जाकर इसकी कीमत जानी तो सभी जगह अलग-अलग रेट दुकानदारों ने बताए।
यह कर दे तो समस्या खत्म
सीए सौरभ श्रीवास्त्व कहते हैं बिक्री के सभी इनवाइस अगर पोर्टल पर ही रियल टाइम में जारी किए जाने लगें तो सभी तरह के विवाद खत्म हो जाएंगे। उनके मुताबिक चूंकि जीएसटी पोर्टल पर बिक्री के सभी इनवाइस होंगे तो इसका मतलब साफ है कि सभी के खरीदारी के इनवाइस भी वही होंगे। ऐसे में सिस्टम अपने आप यह देख ले कि किसी कारोबारी ने कितनी खरीद की और कितनी बिक्री। उसके हिसाब से हर माह की एक तारीख को टैक्स जेनरेट कर कारोबारी को बता दिया जाए। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में लगातार नेट पर काम नहीं हो सकता तो जीएसटी उन्हें पोर्टल पर दिन भर इनवाइस जारी करने का कोई प्लेटफार्म दे और रात में काम खत्म करने से पहले उसे नेट से जोड़कर पोर्टल पर अपलोड कर दे। उनके मुताबिक इससे कारोबारियों को एक भी रिटर्न नहीं भरना होगा।
क्या हुआ लाभ ?
कर के जानकार मनोज गुप्ता कहते हैं कि जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कन्याकुमारी का कोई व्यक्ति भी उतना ही टैक्स देता है, जितना जम्मू-कश्मीर के किसी कारोबारी को देना होता है। जीएसटी के चलते डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम, प्रॉडक्शन, सप्लाइ चेन, स्टोरेज भी मजबूत हुई है। जीएसटी के चलते इकॉनमी का फॉर्मलाइजेशन होगा। इसके चलते टैक्स के दायरे से बचना मुश्किल हुआ है, पारदर्शी डिजिटल व्यवस्था होगी, इनवॉइस मैचिंग और इनसेंटिव ऑफ इनपुट क्रेडिट की भी सुविधा मिलेगी। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा लोगों के रिटर्न फाइल करने के चलते भी कलेक्शन में इजाफा किया है। करीब 17 प्रकार के टैक्स और कई सेस का जीएसटी में विलय हो गया है। एक्साइज ड्यूटी, सर्विसेज टैक्स, काउंटरवेलिंग ज्यूटी और वैट, परचेज टैक्स जैसे राज्य कर अब जीएसटी में ही समाहित हो गए हैं। जीएसटी के चलते टैक्स क्रेडिट का फ्री फ्लो हुआ है। कंपनियों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और इसका फायदा ग्राहकों को मिला है।
12 बजे की रात लागू किया गया जीएसटी
इसे लागू करने के लिए दिल्ली स्थित संसद भवन में एक ख़ास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां रात के 12.00 बजे एक ऐप के ज़रिए इसे लागू किया गया। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेता मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने उस दिन कहा था कि आज इस मध्यरात्रि के समय हम सब मिल कर देश के आगे का मार्ग सुनिश्चित करने जा रहे हैं। देश एक नई व्यवस्था की ओर चल पड़ेगा। “इसी सदन में 14 अगस्त 1947 को रात के 12.00 बजे देश की आज़ादी की घोषणा हुई थी। 1949 में इसी सेंट्रल हॉल में देश के संविधान को स्वीकार किया था। यूपी सरकार के मंत्री सतीश महाना कहते हैं कि व्यवस्था को अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार बता रहे हैं। महाना ने कहा कि काले धन और भ्रष्टाचार को रोकने में जीएसटी कुछ हद तक सफल रहा। कई करप्ट लोग पकड़े गए। जबकि ईमानदारी से व्यवसाय करने के लिए जीएसटी उत्साह और उमंग भरने का कार्य कर रहा है।

 
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