अब विधानसभा सदन के अन्दर सुनाई देगी गूंज उत्तर प्रदेश सरकार के गंगा रन कार्यक्रम में हुई राजनीति की गूंज अब विधानसभा सदन के अन्दर सुनाई पड़ सकती है। यूपी के तीन शहरों में आज गंगा रन के तहत पॉच किलोमीटर की दौड़ आयोजित की गयी थी। गंगा मैया को समर्पित इस दौड़ का नारा था गंगा मईया साफ हो, इसमें हम सबका हाथ हो। इस नारे से साफ था कि सरकार की मंशा गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिये जनता को नमामि गंगे परियोजना से जोड़ना था। लेकिन अब इसे चूक कहा जाय या सोची समझी रणनीति, कानपुर में विपक्षी दलों के विधायकों का हाथ इस कार्यक्रम में नहीं लगने दिया गया। कानपुर नगर निगम इस गंगा दौड़ की नोडल ऐजेन्सी बनायी गयी थी लेकिन उसकी प्रचार सामग्री और निमन्त्रण पत्रों में गैर भाजपा दलों के स्थानीय विधायकों के नाम छापने तक से परहेज किया गया और मंच पर केवल सत्तारूढ़ दल के नेताओं को स्थान दिया गया। केवल यही नहीं, जिस स्थान पर गंगा रन को हरी झण्डी दिखायी गयी, उस क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ बाजपेयी को भी इसमें शामिल नहीं किया गया। अब सपा विधायक इस सरकारी कार्यक्रम का भगवाकरण किये जाने का आरोप लगा रहे हैं और मामले को विधान सभा में उठाने की बात कह रहे हैं।
स्थानीय विधायक को भूले अफसर इसके पहले आज सुबह कानपुर में गंगा मइया के किनारे स्थित ग्रीन पार्क स्टेडियम से गंगा रन शुरू हुई तो इसमें हजारों की संख्या में कानपुरवासियों ने भाग लिया। बानवे साल के एक बुजुर्ग को दौड़ में शामिल होने के लिये पुरूस्कृत भी किया गया। यूपी के तीन शहरों में आयोजित इस गंगा दौड़ में भीड़ बढ़ाने के लिये नगद पुरूस्कारों का आकर्षण भी रखा गया था। गंगा दौड़ कार्यक्रम में केवल भाजपा के सांसद और विधायक शामिल किये जाने से तिलमिलाई समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया है कि जल्दी ही उनकी पार्टी गंगा सफाई के नाम पर किये जा रहे ढोंग का खुलासा जनता के बीच जाकर करेगी। सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी ने कहा कि जहां पर कार्यक्रम रखा गया वह क्षेत्र हमारी विधानसभा में आता है। अफसरों ने यहां के वार्ड पार्षद व स्थानीय भाजपा नेताओं को बकाएदे इनवाइट किया, पर हमें नहीं बुलाया गया। अफसर सत्ताधारी दल के हाथों में खेल रहे हैं। सरकारें आती जाती रहती हैं, पर अफसरों को अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए।
फिर भी गंगा जस की तस
सपा विधायक अमिताभ बाजेपेयी ने बताया कि कुछ माह पहले सरसैया घाट पर यूपी सरकार के मंत्री सतीश महाना, होमगार्ड मंत्री सहित तमाम भाजपा के नेता और पांच सौ से ज्यादा होमगार्ड के जवान मां गंगा की सफाई के लिए जल में उतरे। टीवी और अखबारों में जगह पाने के बाद यह योजना गुम हो गई। आज भी सरसैया घाट की स्थित जस के तस बनी हुई है। गंगा के जल में कीड़े पड़ रहे हैं तो मस्कट घाट में आवारा मवेशियों के शव पानी में तैर रहे हैं। चार साल के दौरान करोड़ों रूपया खर्च कर दिया गया लेकिन मां गंगा की हालत जैसी थी वह आज भी वैसी है। सपा सरकार के दौरान गंगा के घाटों का सौंदीकरण कराया गया और गंगा का जल उस वक्त इतना गंदा नहीं था, जो इस वक्त है। वहीं नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा कि इस बारे में हमें जानकारी नहीं है कि किसे बुलाया गया है और किसे नहीं बुलाया गया। यह कार्य गंगा बोर्ड के अफसरों के पास था।