सरकार का नया प्रयोग
स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करने के लिए राज्य सरकार नया प्रयोग करने जा रही है। अब आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के सहयोग से सभी सरकारी अस्पतालों में शाम और अवकाश के दिनों में भी ओपीडी चलेगी। ओपीडी में मरीजों से मिलने वाली फीस को डॉक्टरों से शेयरिंग की जाएगी। इसकी शुरुआत उर्सला अस्पताल से की जाएगी। उसके बाद केपीएम, डफरिन और कांशीराम अस्पताल में शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आईएमए के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूर कर लिया गया।
स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करने के लिए राज्य सरकार नया प्रयोग करने जा रही है। अब आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के सहयोग से सभी सरकारी अस्पतालों में शाम और अवकाश के दिनों में भी ओपीडी चलेगी। ओपीडी में मरीजों से मिलने वाली फीस को डॉक्टरों से शेयरिंग की जाएगी। इसकी शुरुआत उर्सला अस्पताल से की जाएगी। उसके बाद केपीएम, डफरिन और कांशीराम अस्पताल में शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आईएमए के प्रस्ताव को सोमवार को मंजूर कर लिया गया।
१० दिन में तैयार करें ब्लू प्रिंट
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस प्रस्ताव पर 10 दिन में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी, डीएम और आईएमए डॉक्टर मंत्रणा कर एक ब्लू प्रिंट उनके पास भेजेंगे। उसी के बाद इसे कैबिनेट में रखकर पास कराया जाएगा। आईएमए का यह प्रस्ताव प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं बेहतर करने में मील का पत्थर साबित होगा। सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जब वे कानपुर आ रहे थे तो मुख्यमंत्री उत्साहित थे। उन्हें लग रहा है कि आईएमए साथ दे दे तो इलाज के इंतजाम और बेहतर हो जाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस प्रस्ताव पर 10 दिन में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी, डीएम और आईएमए डॉक्टर मंत्रणा कर एक ब्लू प्रिंट उनके पास भेजेंगे। उसी के बाद इसे कैबिनेट में रखकर पास कराया जाएगा। आईएमए का यह प्रस्ताव प्रदेश में चिकित्सा सेवाएं बेहतर करने में मील का पत्थर साबित होगा। सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जब वे कानपुर आ रहे थे तो मुख्यमंत्री उत्साहित थे। उन्हें लग रहा है कि आईएमए साथ दे दे तो इलाज के इंतजाम और बेहतर हो जाएंगे।
जिम्मेदार बनें डॉक्टर, सरकार करेगी सुरक्षा
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार संवेदनशील है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2011 में ही क्लीनिक स्टेबलिशमेंट एक्ट बना था। इसका कायदे से अनुपालन 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से शुरू हुआ। 2017 में 17 तथा वर्ष 2018 में 14 एफआईआर दर्ज किए गए। जब सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है तो आप भी पूरा सहयोग करें। आपके काम बंद करने से आम जनता को परेशानी होती है। आप सभी तो डॉक्टर हैं ऐसे में हमसे अधिक संवेदनाएं हैं। डॉक्टर भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझें।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार संवेदनशील है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2011 में ही क्लीनिक स्टेबलिशमेंट एक्ट बना था। इसका कायदे से अनुपालन 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद से शुरू हुआ। 2017 में 17 तथा वर्ष 2018 में 14 एफआईआर दर्ज किए गए। जब सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है तो आप भी पूरा सहयोग करें। आपके काम बंद करने से आम जनता को परेशानी होती है। आप सभी तो डॉक्टर हैं ऐसे में हमसे अधिक संवेदनाएं हैं। डॉक्टर भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझें।