आईजी ने लगाई मुहर
नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर 20 व 21 दिसंबर को कानपुर शहर में हुई हिंसा के पीछे एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन) और पीएफआई(पीपुल फ्रंट ऑफ इंडिया) के अलावा एएमयू के पूर्व छात्रों की दिमाग की उपज है। इसके अलावा शहर में चल रहे धरने व प्रदर्शन में भी इन्हीं संगठनों के सदस्य अहम रोल अदा कर रहे है। जिस पर कानपुर जोन के आईजी मोहित अग्रवाल ने मुहर लगा दी है। आईजी ने बताया कि इन्हीं संगठनों से जुड़े लोगों ने हिंसा फैलाई है। कुछ आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं, वहीं अन्य की तलाश पुलिस कर रही है।
उपद्रव के लिए उकसाया
आईजी के मुताबिक एआईएमआईएम व पीएफआई से जुड़े लोग हिंसा में शामिल थे। कुछ वीडियो फुटेज व तस्वीरों में ये लोग कैद हुए हैं। कइयों की पहचान हो चुकी है। इन लोगों ने भीड़ को भड़काऊ भाषण दे उपद्रव के लिए उकसाया। हिंसा के लिए एआईएमआईएम और पीएफआई ने फंडिंग भी की है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है। इसके पहले एसएसपी अनंत देव तिवारी ने भी हिंसा के पीछे इन्हीं संगठनों का हाथ बताया था। पुलिस ने बाबूपुरवा से पीएफआई के 5 सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पकड़े गए आरोपियों में लेबर कॉलोनी, फहीमाबाद निवासी रिटायर्ड मदरसा शिक्षक सैयद अब्दुल हई हाशमी को मुख्य साजिशकर्ता था। इसी ने ं वर्ष 2015 में चमनगंज में पीएफआई का गोपनीय सम्मेलन करवाया था।
एक दर्जन छात्रों ने रची साजिश
सूत्रों की मानें तो अब तक की जांच में एक दर्जन एएमयू के एक दर्जन पूर्व छात्रों ने तीन साल पहले पीएफआई की सदस्यता ली थी। तकनीकि तौर पर ये छात्र मजबूत हैं। सूत्रों का कहना है कि इन्हीं लोगों ने सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में पीएफआई को मजबूत करने की दिशा में काम किया। सूत्रों की मानें तो कानपुर में हुई हिंसा से पहले ये पूर्व छात्र शहर पहुंचे थे। यहां बाबूपुरवा, चमनगंज और गम्मू खां हाता में इन लोगों ने बैठकें कर लोगों को सीएए और एनआरसी को लेकर भड़काने का काम भी किया था।
वूथ विंग के जिलाध्यक्ष पर मुकदमा
बाबूपुरवा में हुई हिंसा के पीछे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से जुड़े नेता भी शामिल थे। पुलिस ने यूथ विंग के जिलाध्यक्ष सहित एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं पर मुकमदा भी दर्ज किया था। भीड़ जुटाने के लिए ओवैसी की पार्टी के कार्यकर्ताओं के अलावा पीएफआई के लोग अदंरखाने लगे हुए थे। जुमे की नमाज के बाद पहले इन्होंने विरोध-प्रदर्शन के लिए प्रशासन से इजाजत मांगी। इसी के बाद विरोध-प्रदर्शन की आंड में लोगों को हिंसा के लिए उकसयास। बच्चों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया के भ्रामक पोस्ट की कॉपी भी बांटी। पुलिस ने अभी तक ओवैसी की पार्टी के अलावा अन्य संगठनों से जुड़े 15 उपद्रवियों को जेल भेजा है।
सिमी गढ़ रहा कानपुर
1977 में सिमी का गठन हुआ। इसके बाद इस संगठन ने पांव पसारने शुरू किए। धीरे-धीरे कानपुर सिमी का गढ़ बन गया। सन् 1999 में कानपुर में सिमी का एक बड़ा सम्मेलन हुआ था, जिसके बाद इस संगठन की गतिविधियां बढ़ गईं। शहर में इसका एक कार्यालय भी था। यहां पर अंसार इरशाद शाहीन नामक फोर्स को प्रशिक्षण भी दिया जाता था। सन् 2001 में परेड चैराहे के पास पीएसी की गाड़ी पर सिमी के लोगों ने बम भी फेंका था। ये उस दौर की सबसे बड़ी घटना थी। इसमें एके-47 का भी इस्तेमाल हुआ था। पुलिस के मुताबिक सिमी के तार सीधे डी-कंपनी से जुड़े हुए थे। डी-कंपनी के इशारे पर सिमी की शहर में गतिविधियां संचालित हो रही थीं।