ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ सीएम ने लखनऊ भेजा 16 टन ऑक्सीजन का टैंकर, मेदांता अस्पताल में होगा इस्तेमाल बीते रविवार को अपर मुख्य अपर सचिव अवनीश अवस्थी ने इसको लेकर कानपुर आईआईटी, छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय, एचबीटीयू समेत प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के साथ बैठक की थी। बैठक में टीम में एकेटीयू और सीएसजेएमयू के कुलपति भी शामिल थे। इसमें तय हुआ कि आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल सोमवार तक ऑक्सीजन ऑडिट ऐप शासन को सौंप देंगे। हुआ भी यही। सोमवार तक कानपुर आईआईटी ने ऑक्सीजन ऑडिट सिस्टम ऐप तैयार कर इसे शासन को सौंप दिया। इसके जरिए समय रहते अब सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन मिल सकेगी।
ये भी पढ़ें- ऑक्सीजन की कमी के कारण महिला समेत 5 लोगों की मौत अस्पतालों को देनी होगी जानकारी- ऑक्सीजन ऑडिट सिस्टम ऐप की मदद से ऑक्सीजन अवेलिबिलिटी की सही जानकारी मिल सकेगी जैसे कि अस्पतालों में कितनी ऑक्सीजन है, ऑक्सीजन की कितनी खपत है और कितने दिनों तक की ऑक्सीजन शेष बची है। अस्पतालों को भी इसके लिए सही जानकारी देनी होगी क्योंकि इसी आधार पर अस्पतालों को सही समय पर सही मात्रा में ऑक्सीजन मुहैया कराई जा सकेगी। इससे ऑक्सीजन के इस्तेमाल में पारदर्शिता आएगी। कोई भी व्यक्ति या संस्थान ऑक्सीजन का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा। प्रदेश के विश्वविद्यालय अस्पतालों से इसका डाटा इकट्ठा करेंगे।
विश्वविद्यालयों को अलग-अलग अस्पताल की जिम्मेदारी-
इसके लिए विश्वविद्यालयों को उनके आसपास के मेडिकल कॉलेज की जिम्मेदारी दी गई है। जैसे छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की, एचबीटीयू को सैफई मेडिकल कॉलेज और उर्सला अस्पताल व रामा हॉस्पिटल की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अतिरिक्त बीएचयू पर उसके आसपास के अस्पतालों की जिम्मा है। एमएमएमयूटी गोरखपुर को बीआरडी मेडिकल कॉलेज और आसपास के अस्पतालों की जिम्मेदारी दी गई है। एनआईटी को प्रयागराज के अस्पतालों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह विश्वविद्यालय इन अस्पतालों से डाटा इकट्ठा करेंगे और उसे एप के एलगोरिथम में डालेंगे।