कानपुर के लोग हर रोज चबा जाते ६७ लाख पुडिय़ा पान मसाला
पान मसाला सिटी के नाम से मशहूर शहर में ४५० बोरा पान मसाला रोज खपत
कुल मिलाकर १३० करोड़ रुपया हर महीने का टैक्स देते है पान मसाला कारोबारी

कानपुर। पान मसाला सिटी के नाम से पहचाने जाने वाले कानपुर शहर में हर रोज लोग ६७ लाख पाउच पान मसाला चबाकर थूक देते हैं। पान मसाले की कीमत जैसे-जैसे बढ़ती गई उसे खाने वाले भी ज्यादा होते गए। आज पान मसाने की हर माह खपत से राजस्व विभाग को १३० करोड़ रुपया का टैक्स मिलता है।
शहर से निकलते ७० फीसदी ब्रांड
शहर में पान मसाले की शुरुआत १९८५ से हुई थी। तब इसके दो दर्जन ब्रांड बाजार में थे। आज स्थिति यह है कि पान मसाला बाजार में जितने भी ब्रांड चल रहे हैं उनमें ७० फीसदी तो केवल कानपुर शहर में ही तैयार होते हैं। इनमें भी ज्यादातर तो ऐसे हैं जो बड़ी कंपनी की तरह नहीं बल्कि घर में छोटे लेबल पर तैयार किए जाते हैं।
दाम बढ़े पर खपत कम नहीं
पहले पान मसाले की पुडिय़ा एक रुपए में आती थी। इस उद्योग को स्थापित हुए ३५ साल गुजर गए हैं। पान मसाने की पुडिय़ा भी एक रुपए से बढ़कर तीन-चार रुपए पहुंच गई है, पर इसकी खपत कम नहीं हुई। आज भी रोजाना ४५० बोरा की खपत केवल कानपुर शहर में ही है। करीब 67.5 लाख पाउच एक दिन में खा लिए जाते हैं।
जमकर हो रही टैक्स चोरी
पान मसाला कारोबार में टैक्स चोरी भी जमकर हो रही है। 35 साल में भले ही महंगाई सात गुना से भी ज्यादा उछल गई हो लेकिन पुडिय़ा के दाम पर इसका खास असर नही पड़ा। गुणवत्ता और जहरीले तत्वों की मात्रा जानलेवा स्तर तक होने की वजह से पान मसाला इंडस्ट्री शुरू से ही विवादों के घेरे में रही। यही वजह है कि 20 हजार करोड़ रुपए का भारी-भरकम आकार लेने के बावजूद यह इंडस्ट्री न तो संगठित हो सकी, न ही कारपोरेट समूह या उद्योग का दर्जा हासिल कर सकी।
अब पाइए अपने शहर ( Kanpur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज