मोतीझील स्थित एक होटल में आयोजित कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रो. एमएस परमार ने अग्निरोधक कपड़ा प्रस्तुत किया। बताया कि ये कपड़े अन्य के मुकाबले 50 से 150 रुपए महंगे होते हैं। इन्हें फाइबर और केमिकल मिलाकर बनाया गया। देश में फायर फाइटर इसी कपड़े की ड्रेस पहनते हैं, जिसका वजन तीन किलो होता है। इसी तरह मजदूरों के लिए मेंब्रेन लेमिनेशन से धूल रहित ड्रेस तैयार की है। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन टेक्निकल सेशन में अलग-अलग संस्थानों से आए वैज्ञानिकों व प्रोफेसरों ने 60 पेपर प्रस्तुत किए। डीएमएसआरडीई की वैज्ञानिक प्रियंका कटियार ने हाइली ओलियो फैब्रिक एंड सेफ्टी क्लीनिंग टेक्सटाइल और श्रद्धा मिश्रा ने एक्सट्रीम कोल्ड वेदर एंड क्लोदिंग के बारे में बताया।
अग्रिरोधी फैब्रिक के बारे में जानकारी देते हुए यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी जलगांव से आए डॉ. रवीन्द्र पुरी ने बताया कि दीवार पर पेंट की एक कोटिंग इंटूमीसेंट तैयार किया है। ये कोटिंग किसी भी सामान्य पेंट के ऊपर कर सकते हैं। आग लगने पर यह कोटिंग आग को फैलने नहीं देगी। इस पर अभी भी काम चल रहा है, धीरे धीरे यह लोगों तक पहुंचेगा। रिमिका उपाध्याय ने स्वयं के बनाए हुए डाइंग फैब्रिक को प्रस्तुत किया। रिमिका ने बताया कि यूकेलिप्टस के पेड़ से कपड़ों के लिए प्राकृतिक रंग बनाए हैं। सिंथेटिक रंगों से बीमारियों का डर रहता है। इसलिए पत्तियों को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर भूरे रंग के 200 शेड्स तैयार किए हैं।