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कानपुर की कार्बाइन के साथ होगी संसद भवन की सुरक्षा

locationकानपुरPublished: Aug 18, 2019 10:21:07 am

दिल्ली मेट्रो और ताजमहल की सुरक्षा में भी होगा इस्तेमाल सीआईएसएफ को सौंपी गई ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन

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कानपुर की कार्बाइन के साथ होगी संसद भवन की सुरक्षा

कानपुर। सेना को सारंग और धनुष जैसी बेहतरीन तोप देने के बाद अब कानपुर ने देश के महत्वपूर्ण स्थलों की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ को दुनिया की सबसे खतरनाक कार्बाइन प्रदान की है। कानपुर की स्माल आर्म्स फैक्ट्री (एसएएफ) में तैयार ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (जेवीपीसी) सीआईएसएफ को सौंप दी गई। इस खतरनाक कार्बाइन का इस्तेमाल ताजमहल की सुरक्षा में किया जाएगा। इसके अलावा संसद भवन, दिल्ली मेट्रो और वीवीआईपी सुरक्षा में भी जेवीपीसी को लिया जाएगा।
पहली खेप में २५ हजार गोलियां
शनिवार को स्माल आर्म्स फैक्ट्री कैंपस में आयोजित समारोह में शस्त्र पूजन के साथ सीआईएसएफ के कमांडेंट ब्रजभूषण को एसएएफ के महाप्रबंधक संजय कुमार पटनायक ने सौ कार्बाइन और 25 हजार गोलियों की पहली खेप सौंपी। उनके साथ डिप्टी कमांडेंट अरविन्द कुमार सिंह, संयुक्त महाप्रबंधक आरके मीना, अपर महाप्रबंधक अजय सिंह, तुषार त्रिपाठी सहित यूनियनों के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
बुलेटप्रूफ जैकेट भेदने की क्षमता
एसएएफ ने बहुप्रतीक्षित मारक हथियार ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानी जेवीपीसी को तैयार किया है। जेवीपीसी की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह एक मिनट में 900 राउंड फायर करती है। महज तीन किलो वजनी जेवीपीसी का निशाना सटीक है। यह 23 परतों वाली बुलेट प्रूफ जैकेट को भी भेदने में सक्षम है। फायरिंग करते समय ये बिलकुल नहीं हिलती और स्थिर रहती है। इस आधुनिक कारबाइन में नाइट विजन कैमरा भी लगा सकेंगे।
सुरक्षाबलों को मिली नई ताकत
कानपुर में बनी यह कार्बाइन सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए नई ताकत बनकर उभरी है। मौका चाहे इंडियन आर्मी के बख्तरबंद गाडिय़ों में सफर या गश्त करते समय हुए आतंकी हमले का हो या किसी कमांडो कार्रवाई में पैराशूट से हवाई छलांग लगाने का, इन मौकों पर अगर हथियार हिल गया तो समझो निशाना चूका और दुश्मन को बच निकलने का मौका मिल गया लेकिन स्माल आम्र्स फैक्ट्री ने इन दिक्कतों को लगभग खत्म कर दिया है।
दुनिया की टॉप फाइव कार्बाइन
एसएएफ के महाप्रबंधक ने बताया कि जेवीपीसी कार्बाइन दुनिया की टॉप फाइव कार्बाइन में शामिल हो गई है। लंबे शोध और परीक्षण के बाद इसे तैयार किया गया है। जर्मनी ने एचके और बेल्जियम ने एफएन नाम से ऐसी की कार्बाइनें बनाई हुई हैं और उनकी मांग कई देशों से आती रहती हैं, लेकिन अब भारत के पास पूर्णतया स्वदेशी तकनीक से बनी जेवीपीसी कार्बाइन है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेवीपीसी विश्व विख्यात हथियार एमपी-5, एमपी-7 और पी-2000 से भी कई मायनों में बेहतर है। जेवीपीसी की मारक क्षमता बेजोड़ है। लक्ष्य को भेदने में इसकी एक्यूरेसी 100 फीसदी है। इसकी विशिष्ट गोली केवल टारगेट को हिट करती है। आसपास वालों को घायल नहीं करती।

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