पार्थ की दादी को पार्किंसन की बीमारी थी और उन्हें चलने में काफी परेशानी थी। उनके पैर आगे नहीं बढ़ते थे। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज कानपुर के मेडिसिन विभाग के न्यूरो रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम सिंह का कहना है कि पार्किंसन की बीमारी में मरीजों के हाथ-पैर कांपते हैं। नर्व कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। मस्तिष्क में डोपामिन न्यूरो केमिकल की कमी हो जाती है। दादी की तकलीफ को समझते हुए पार्थ ने एक ऐसी लेजर स्टिक बनाई जिससे उसकी दादी को चलने में आसानी होने लगी। वह छह साल पहले ही इस पार्किंसन बीमारी का शिकार हो गई थीं। पार्थ को यह लेजर स्टिक बनाने के लिए केंद्र सरकार से जून 2019 में पेटेंट मिला।
इस अविष्कार के लिए पार्थ को 2016 में डॉ. अब्दुल कलाम नवाचार पुरस्कार और 2018 में सूर्यदत्त यंग अचीवर नेशलन अवार्ड मिला। इतना ही नहीं उसे गूगल की ओर से गूगल वेब रेंजर चुना गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान की प्रकाशित किताब में भी पार्थ आविष्कार का पाठ शामिल है। राष्ट्रपति भवन में स्थाई रूप से संचालित नवाचार प्रदर्शनी में पार्थ का अविष्कार शामिल है। पार्थ के आविष्कार के कारण उनके स्कूल में स्थापित अटल टिनकेरिंग लैब को भारत सरकार ने 20 लाख रुपये का फंड दिया। इसके अलावा उसे रोबोटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने हेतु मास्को में आमंत्रित किया गया।
पार्थ को आईआईएम अहमदाबाद में इनोवेशन समिट में आमंत्रित करके सम्मानित किया गया। न्यूज नेशन में सात मिनट की डॉक्यूमेंट्री में पार्थ के आविष्कार पर कहानी प्रसारित की गई। चार बार राष्ट्रीय और दो बार प्रदेश स्तरीय नव प्रवर्तन प्रदर्शन में प्रतिभाग किया। 1996 में कला, संगीत, अध्ययन और अन्य विशिष्ट क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए घोषित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में पार्थ को चयनित किया गया है। यह पुरस्कार 22 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देंगे। इस समय पार्थ की आयु 17 साल है। 25 जनवरी को पुरस्कृत सभी बच्चों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिलेंगे।