हादसे का ये रहा कारण
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि पैंट्री कार के पीछे एसी कोच की कपलिंग टूटने की वजह से ही हादसा हुआ। इसके बाद पहले पैंट्री कार कोच डिरेल हुआ और तेज रफ्तार होने की वजह से बाकी डिब्बे भी डिरेल होते चले गए। इसमें से तीन एसी कोच तेज झटके के कारण पलट गए। एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह ने बताया डी कपलिंग को ही हादसे की वजह माना जा रहा है। मौके पर पुलिस व आरपीएफ टीम पटरियों की स्थिति भी देख रही है। इसके अलावा यूपी एटीएस की टीम भी जांच पड़ताल कर रही है।
एक भी यात्री की नहीं हुई मौत
उत्तर रेलवे के पीआरओ अमित मालवीय के मुताबिक अभी तक हादसे में किसी की मौत की पुष्टि नहीं हुई है। 60 से 70 लोगों के घायल होने की सूचना है। वहीं आरपीएफ के मुताबिक, पूर्वा एक्सप्रेस में आगे की ओर से जनरल डिब्बे लगे हुए थे, जबकि पैंट्री कार से पीछे एसी के कोच लगे थे। पैंट्री कार से ट्रेन दो भागों में बंट गई। इनमें वातानुकूलित कोच भी शामिल हैं। ट्रेन में शुरुआत के जनरल कोच के बाद नौ कोच स्लीपर हैं। इसके बाद पैंट्री कार 13वें नंबर का कोच है। उसके बाद एसी का एच ए1 कोच और फिर पांच थर्ड एसी और सेकेंड एसी के दो कोच लगे हैं। ट्रेन के आखिर में जनरेटर यान लगा था।
पुखरायां ट्रेन हादसे की दिला दी याद
नवंबर 2016 को इंदौर और पटना के राजेंद्र नगर टर्मिनल के बीच चलने वाली पटना एक्सप्रेस पुखरायां के पास पटरी से उतर गई थी। इस हादसे में करीब डेढ़ सौ लोगों की मौत हुई थी। सुरेश प्रभु ने इस घटना की जांच करके दोषियों को सजा दिलाने की बात कही है। लेकिन अभी तक एक भी रेलवे के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुए। इसके बाद भी कानपुर रूट पर दर्जनभी रेल हादसे हुए, जांच के बाद कार्रवाई चलती रही। सेंट्रल स्टेशन पर पहुंचे घायल यात्री ने कहा कि हम रेलवे को किराया देते हैं, बावजूद वो हमारी जिंदगी के साख खिलवाड़ कर रहा है। पूराने ट्रैक पर रेल को दौड़ाया जा रहा है।
अभी भी नहीं किया गया अमल
अनिल काकोडकर कमेटी की रिपोर्ट में आईसीएफ कोच को भारतीय रेलवे से पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की गई थी। लेकिन अभी भी रेलवे में ज्यादातर डिब्बे आईसीएफ तकनीक के हैं। इस तरह के डिब्बों में बोगी के ऊपर डिब्बा रखा होता है। बोगी और डिब्बे के बीच में जुड़ाव बहुत ज्यादा मजबूत नहीं होता है। ऐसे में जब ऐसे डिब्बों से बनी हुई ट्रेन पटरी से उतरती है तो यह डिब्बे बोगी से अलग हो जाते हैं। इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि रेलगाड़ी के डिब्बे में पहियों समेत निचला हिस्सा अलग हो जाता है। इस वजह से इन डिब्बों के पलटने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में डिब्बों में बैठे हुए यात्रियों का कचूमर निकल जाता है। शायद यही वजह है की काकोडकर कमेटी ने इन डिब्बों को भारतीय रेलवे से पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की थी.।