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हैलट में इलाज न मिलने से जान देने निकल पड़ा मरीज, प्रशासन के हाथ पैर फूले

locationकानपुरPublished: Dec 02, 2019 12:44:25 pm

बोला यहां इलाज नहीं मिलता तो भर्ती होने से क्या फायदा आनन-फानन में दोबारा भर्ती कर शुरू कराया गया इलाज
 

हैलट में इलाज न मिलने से जान देने निकल पड़ा मरीज, प्रशासन के हाथ पैर फूले

हैलट में इलाज न मिलने से जान देने निकल पड़ा मरीज, प्रशासन के हाथ पैर फूले

कानपुर। शहर के हैलट अस्पताल में उस समय हडक़ंप मच गया, जब एक घायल मरीज अपनी जान देने के लिए निकल पड़ा। जैसे ही हैलट प्रशासन को इसका पता चला तो डॉक्टरों ने दौडक़र मरीज को रोका और दोबारा भर्ती करके तुरंत उसका इलाज शुरू किया गया। घायल मरीज समय पर इलाज न मिलने के कारण इतना दुखी हो गया था कि उसने जान देने की ठान ली।
चलने में लाचार घिसटकर चल दिया
१० दिन से पट्टी न बदले जाने से परेशान घायल घिसटते हुए आत्महत्या करने चल दिया। रोते हुए बुदबुदा रहा था कि यहां भर्ती होने से क्या फायदा? 10 दिन हो गए पट्टी नहीं बदली गई। ड्रेसिंग के लिए सामान और दवाएं कहां से लाऊं? पैसे कहां से लाऊं? इससे अच्छा है ट्रेन से कट जाऊं। दूसरे माले से घिसटकर घायल इमरजेंसी के सामने पहुंच गया तब जाकर लोगों की नजर पड़ी। कर्मचारियों और परिजनों ने उसे पकड़ा। ड्रेसिंग कर उसे दोबारा भर्ती किया गया।
सडक़ हादसे में हुआ था घायल
बताया जाता है कि गोविंद नगर कच्ची बस्ती निवासी राधेश्याम गुप्ता सडक़ दुर्घटना में घायल हुआ था। उसे हेड इंजरी के साथ पैर में फ्रैक्चर है। 10 दिन से वह हैलट के ऑर्थोपेडिक/न्यूरो सर्जरी वार्ड दो में भर्ती है। उसके पैर पर प्लास्टर चढ़ा है। रविवार शाम चार बजे के आस-पास वह वार्ड से घिसटता हुआ इमरजेंसी के सामने आ गया। इस दौरान कह रहा था कि आत्महत्या कर लूंगा। ऐसे दर्द और जिंदगी से कोई फायदा नहीं है।
डॉक्टरों और परिजनों ने समझाया
जान देने जा रहे मरीज को डॉक्टरों और परिजनों ने समझाबुझाकर इमरजेंसी पहुंचाया। ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टरों ने दोबारा ड्रेसिंग की और प्लॉस्टर चढ़ाया। प्रेमा का भी कहना है कि कोई दवा नहीं मिल रही। इंजेक्शन बाहर से लाने को कह रहे हैं। कुछ लाए भी लेकिन वे अब तक रखे हैं। इसी से नाराज होकर राधेश्याम कहता है कि घर ले चलो, यहां नहीं रहना है। इतने पैसे नहीं हैं कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा सकें। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि विभागाध्यक्ष से इस सम्बंध में रिपोर्ट मांगी जाएंगी। पीआरओ से भी जानकारी लेंगे।

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