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हैलट की जांच पर भरोसा, इलाज पर नहीं

locationकानपुरPublished: Mar 19, 2019 12:00:31 pm

जांचें कराने के बाद निजी डॉक्टर से करा रहे इलाजहैलट प्रबंधन अब प्रोटोकॉल में करेगा बदलाव

hailet kanpur

हैलट की जांच पर भरोसा, इलाज पर नहीं

कानपुर। हैलट में भर्ती होने वाले मरीजों को यहां के इलाज पर भरोसा नहीं रहा। यहां से जांचें कराकर मरीज फिर निजी अस्पतालों में जाकर इलाज करा लेते हैं। पूछे जाने पर मरीज जांच में पैसा बचाने का बहाना बना देते हैं, पर अगर उन्हें पैसा ही बचाना हो तो वे इलाज भी हैलट में करा सकते हैं।
भर्ती होने वाले आधे मरीज भाग जाते
हैलट में सर्जरी के लिए जितने मरीज भर्ती किए जाते हैं उनमें आधे मरीज जांच कराने के बाद भाग जाते हैं और फिर अपनी मर्जी के डॉक्टर से ऑपरेशन व इलाज करवाते हैं। पूछने पर बताते हैं कि हैलट में सस्ती और निशुल्क जांच का लाभ मिल जाता है, पर जब उनसे पूछा गया कि यहां तो इलाज भी मुफ्त है तो वे जवाब नहीं दे पाते। भागने वाले मरीजों में ज्यादातर हार्निया, अपेंडिक्स, आंत आदि के रोगी होते हैं।
हैलट प्रबंधन परेशान
जांच कराकर फरार होने वाले मरीजों से हैलट प्रबंधन भी परेशान हो चुका है। हैलट में रोजाना लगभग १० मरीज ओपीडी से ऑपरेशन के लिए भर्ती किए जाते हैं। जबकि करीबन इतने ही मरीज इमरजेंसी में भी सर्जरी के लिए आते हैं। जांच होने तक तो मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हैं पर जांच रिपोर्ट हाथ लगते ही बिना बताए चले जाते हैं।
९० फीसदी मरीज हो जाते फरार
हैलट के एक सीनियर कंसल्टेंट ने बताया कि रेजीडेंट के अंडर में भर्ती होने वाले ९० फीसदी मरीज जांच कराने के बाद भाग जाते हैं जबकि वरिष्ठ सर्जन के करीब ५० फीसदी मरीज यहां ऑपरेशन कराने से बचते हैं। मरीज सारी जांच कराने के बाद रिपोर्ट लेकर बिना बताए ही चले जाते हैं।
इलाज में देरी भी वजह
मरीज बिना इलाज कराए क्यों चले जाते हैं इसकी वजह किसी को नहीं पता। डॉक्टर कहते हैं कि शायद इलाज में हो रही देरी की वजह से मरीज चले जाते हों। इमरजेंसी के पास मिले एक मरीज ने बताया कि आंतें उतरने की शिकायत है। दो दिन भर्ती रहने के बावजूद सर्जरी नहीं हो पाई, अब निजी अस्पताल में सर्जरी करवानी पड़ेगी।
प्रोटोकॉल में बदलाव होगा
हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर के मौर्या ने बताया कि अब प्रोटोकॉल में बदलाव किया जाएगा। जिसमें रोगी जिस दिन भर्ती हो उसकी उसी दिन सर्जरी हो जाए। ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि रोगी पर रेजीडेंट ज्यादा समय दे सकें।
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