गर्मी में अस्थमा रोगियों को खतरा बढ़ जाता है, इसलिए ऐसे मरीज दिन की धूप में बाहर न निकलें। डॉक्टरों ने यह भी बताया कि गर्म हवा के कारण नाक के अंदर की नमी खत्म हो जाती है और झिल्ली में खराश आ जाती है जिससे खून निकलने लगता है। हैलट के डॉ. बृजेश कुमार के मुताबिक जिन लोगों को सांस सम्बंधी कोई दिक्कत है, उन पर गर्मी का असर जल्दी होता है। हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगी भी हाई रिस्क में हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जल्दी किसी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।
हैलट और उर्सला अस्पतालों के सभी जूनियर डॉक्टरों और इमरजेंसी के डॉक्टरों को यह हिदायत दी गई है कि हीटस्ट्रोक से पीडि़त मरीजों का फौरन इलाज करें। हीट स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों के लिए खासतौर पर दोनों अस्पतालों में मंगलवार से डे केयर सुविधा शुरू की गई है। राहत मिलने पर आठ से 10 घंटे में इन मरीजों तो छुट्टी दे दी जाएगी।
हैलट के डॉक्टरों का कहना है कि सिर दर्द, शरीर में ऐंठन और उल्टी-चक्कर आने पर सामान्य लोग यह पता नहीं कर पाते हैं कि बीमारी क्या है? ऐसे मरीजों को सीधे हैलट या उर्सला की इमरजेंसी में लाएं। कुछ घंटे के अंदर मरीज को राहत मिल जाएगी। ओपीडी में कुछ ऐसे भी मरीज आ रहे हैं जो भूख नहीं लगने, कमजोरी और थकान के साथ पेट दर्द की शिकायत कर रहे हैं। यह बीमारी भी कड़ी धूप की वजह से है।
डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में लोगों को धूप से बचाव का हर संभव प्रयास करना चाहिए। अधिक समय तक धूप में लगातार बिल्कुल नहीं रहना चाहिए, इसके साथ खाली भी पेट नहीं रहें। लगातार साफ पानी पीएं तो शिकंजी, नींबू पानी और खीरा-ककड़ी भी खाते-पीते रहें। बुखार महसूस हो तो सिर्फ पैरासिटामाल लें और पानी पीते रहें, डिहाइड्रेशन से भी बुखार महसूस हो सकता है। धूप में बाहर निकलना ही पड़े तो पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े जरूर पहनें, आधे बाजू की शर्ट व टीशर्ट से बचें।