कोरोना की दहशत तो छायी हुई है पर उससे बचने के लिए जो नियम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताए हैं उनका पालन करने में लोगों की दिलचस्पी कम है। उत्तरप्रदेश में हर पांच में लोग काफी डरे हैं। डर के मारे वे डिप्रेशन में घिरते जा रहे हैं। सर्वे कंपनी यूगोव ने उत्तर भारत में यह सर्वे किया है। यूपी के सभी बड़े शहरों को इसमें शामिल किया है। कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, नोएडा, गाजियाबाद में एक-एक हजार लोगों पर सर्वे कर रिपोर्ट जारी की गई है।
कोरोना से बचने के लिए कुछ जरूरी नियम पालन करना आवश्यक है, पर लोग अपने-अपने तरीके से बचाव की कोशिश कर रहे हैं। साफ-सुथरा रहने में 69 प्रतिशत लोग भागीदारी निभा रहे हैं। 59 प्रतिशत ऐसे हैं जो भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बच रहे। 53 फीसदी लोग विदेश से आने वालों से संपर्क नहीं करना चाह रहे। 43 प्रतिशत लोग पब्लिक प्लेस पर फेस मास्क का प्रयोग कर रहे हैं। 38 प्रतिशत ऐसे हैं जो पब्लिक प्लेस पर किसी भी वस्तु को छूते नहीं हैं। 37 फीसदी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर चुके हैं। 20 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने बच्चों का घरों से निकलना बंद कर दिया है और 16 प्रतिशत लोगों ने पूरी तरह से काम पर जाना छोड़ दिया है।
शहर के 46 फीसदी लोग मांसाहारी खाने का बहिष्कार कर चुके हैं। इसका असर यह हुआ कि चिकन के भाव नीचे गिर गए। पर इसके बावजूद बिक्री मंदी ही है। जिस कारण इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का भी काफी नुकसान हुआ है। जबकि 37 प्रतिशत लोगों ने अंडे का सेवन बंद कर दिया है। नियमित अंडे का सेवन करने वाले भी अब कोरोना के डर से गर्मी का बहाना बनाकर अंडा खाने से बच रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान दूध, ब्रेड, सब्जी और दवा की दुकानें खोलने की अनुमति के चलते अब लोग इसका बहाना बनाकर घूमते फिरते है। शाम को पुलिस ने कई ऐसे लोगों को सडक़ों पर पकड़ा जो बेमतलब टहलने के लिहाज से घरों से निकल आए थे। पुलिस के रोककर पूछने पर उनमें से हर दूसरे आदमी का यही कहना था कि वह दवा खरीदने के लिए घर से निकला था। उसके घर में इमरजेंसी है। इस पर अफसर खिसिया गए। अशोक नगर, हर्ष नगर, गुमटी, 80 फिट रोड, ब्रह्मनगर में अफसर गश्त में निकले तो इलाकों में एनाउंसमेंट शुरू कर दिया। इलाके में कुछ लोग अपनी बालकनियों में खड़े थे पुलिस का एनाउंसमेंट सुनने के साथ ही वह हंसने लगे। एसपी पश्चिमी ने बताया कि कई थानों से ऐसी रिपोर्ट मिल रही है कि दवा के नाम पर लोग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं।