scriptधार्मिक स्थल पर खुदाई में निकली शिवलिंग व पत्थरों की मूर्तियां, सैकड़ों वर्ष प्राचीन मूर्तियों को देखने लोग उमड़े | People flocked to see ancient stone idols excavated at religious site | Patrika News

धार्मिक स्थल पर खुदाई में निकली शिवलिंग व पत्थरों की मूर्तियां, सैकड़ों वर्ष प्राचीन मूर्तियों को देखने लोग उमड़े

locationकानपुरPublished: Aug 20, 2020 07:02:55 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

खुदाई में पत्थर की निकली एक देवी मूर्ति का आधा हिस्सा, जिसे लोग खंहैल देवी का सिर बता रहे हैं।

धार्मिक स्थल पर खुदाई में निकली शिवलिंग व पत्थरों की मूर्तियां, सैकड़ों वर्ष प्राचीन मूर्तियों को देखने लोग उमड़े

धार्मिक स्थल पर खुदाई में निकली शिवलिंग व पत्थरों की मूर्तियां, सैकड़ों वर्ष प्राचीन मूर्तियों को देखने लोग उमड़े

कानपुर देहात-जिले के झींझक ब्लाॅक क्षेत्र के खम्हैला गांव में एक धार्मिक स्थल के पुनर्निर्माण को लेकर की गई खुदाई में प्राचीन मूर्तियां निकली हैं। जिसकी जानकारी होते ही बड़ी संख्या में लोग स्थल पर देखने के लिए पहुंचे। गांव के बीच में स्थित खम्हैल देवी के इस स्थल को सैकड़ों वर्ष प्राचीन बताया जा रहा है। यह स्थल एक पीपल के पेड़ के चारो ओर बने चबूतरे पर रखो मूर्तियों का पूजन स्थल है। इस स्थल के पुनर्निर्माण के लिए ग्रामीणों ने प्रण किया। विगत दो दिन पूर्व शुरू हुए इस कार्य के दौरान खुदाई करते समय जमीन से कुछ प्राचीन मूर्तियां निकली। जिसे जानकार गुप्तकालीन मूर्तियां बता रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार काफी प्राचीन मूर्तियां हैं। खुदाई में पहले पत्थर की शिवलिंग निकली, इसके बाद एक देवी मूर्ति का आधा हिस्सा जिसे लोग खंहैल देवी का सिर बता रहे हैं। फिलहाल लोग देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
गांव के बुजुर्ग शरद शर्मा बताते हैं कि दो दिन से हो रही खुदाई में यह मूर्तियां निकली हैं। खम्हैल देवी का यह स्थल कितना प्राचीन है, इसकी किसी को सही जानकारी नहीं है। प्राचीन समय की मान्यता के मुताबिक राजा जयचंद्र के समय उनके गुरु खंभेद ने यह गांव बसाया था। खंहैल देवी का यह धार्मिक स्थल बहुत प्राचीन है। नवरात्रि व अन्य विशेष अवसरों सहित प्रायः गांव के लोग यहां पूजन अर्चना करते हैं। माता सभी पर कृपा बरसाती हैं। ग्रामीणों के मुताबिक खम्हैल देवी के नाम से ही इस गांव का नाम खम्हैला पड़ा। गांव के उमाशंकर तिवारी के चबूतरे पर बने इस स्थल में ग्रामीणों की बड़ी आस्था है। बताया गया कि खम्हैल देवी के सिर का हिस्सा यहां निकला है और शेष धड़ का हिस्सा निटर्रा में स्थापित है।
आज जब इस स्थल पर कुछ पत्थर की मूर्तियों के निकलने की जानकारी हुई तो लोग देखने के लिए उमड़ पड़े। वहीं ग्रामीणों ने निकली मूर्तियों की पूजा अर्चना शुरू की। वहीं मान्यता के अनुसार ग्रामीण अभी भी उस स्थल की खुदाई करा रहे हैं। उनका मानना है अभी कुछ प्राचीन मूर्तियां और निकलेगी। गांव के बुजुर्ग जगदीश नारायण मिश्रा ने बताया कि प्राचीन धारणा के अनुसार राजा जयचंद्र के समय की बात है। उस समय वे अपनी सेना के साथ यहां रुके थे। राजा के कुल पुरोहित खंभेद ने इस स्थल को बनवाया था। उसी के नाम पर गांव का नाम खम्हैला पड़ गया। आस्था के मुताबिक गांव के लोग आज भी खम्हैल देवी के दर्शन के बाद नए कार्य की शुरुवात करते हैं।
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