सीएम के निर्देश पर दूसरे शहरों से आने वालों को तहसील या जिले की सीमा पर शेल्टर हाउस में रुकवाने का इंतजाम हुआ था, पर शेल्टर हाउस बनाने के नाम पर मजाक सा हुआ। बिल्हौर और ककवन ब्लाकों की सीमा पर शेल्टर हाउस खोला ही नहीं गया। गांवों में दूसरे शहरों के फंसे लोग तंबू तान रहने को मजबूर हैं। महाराजपुर इलाके में जरूर कुछ इंजीनियरिंग कालेजों में बाहर से आए लोगों को क्वारंटीन किया गया है। इनमें ठहरे लोगों की मानें तो उन्हें दो वक्त का भोजन भी सही तरह से नहीं मिल रहा है। एक तरह से तहसील और जिलों की सीमा पर बाहरी लोगों को रोकने की खातिर बने शेल्टर हाउस के नाम पर मजाक सा हो रहा है। दूसरे शहरों से आने वालों को सीधे अंदर आने दिया जाता है या फिर या फिर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करके रवाना कर दिया जाता है।
डोमनपुर के गंगापुल से बड़ी संख्या में भीड़ को महाराजपुर की ओर भेज दिया गया। उन्नाव पुलिस ने अपने जिर लगे बैरियर को हटा इधर भेज दिया। इसकी वजह से ही महाराजपुर में बनाए गए चार अस्थायी शेल्टर होम में भीड़ बढ़ गई, जबकि उन्नाव पुलिस का पुरवामीर चौकी इंचार्ज ने विरोध भी किया। पुरवामीर चौकी प्रभारी नीरज बाबू ने बताया कि ट्रैक्टरों के जरिए लोगों को उन्नाव महाराजपुर की ओर भेजा जा रहा है।