यूपी सरकार के नियमों के नहीं कर रहे पालन, झुनझुना हिलाकर कमिश्नर कार्यालय के बाहर किया प्रदर्शन
कानपुर। सीएम योगी और शिक्षामंत्री ने कुछ दिन पहले प्राईवेट स्कूल पर नकेल कसने के लिए कैबिनेट में एक अध्यादेश पारित कर उसके पालन का आदेश दिया था। लेकिन एक भी स्कूल संचालकों ने उस पर अमल नहीं किया। मनमानी फीस, टॉयलेट, हवा, पानी, कॉपी-किताबों के साथ ड्रेस के नाम पर पैसा वसूल रहे हैं। इसी के चलतक बुधवार को अभिभावक संघ सड़क पर उतरा और कमिश्नर कार्यालय के पास धरने पर बैठकर झूनझुना हिला कर प्रदर्शन किया। अभिभावक संघ के संयोजक अभिमन्यु गुप्ता ने बताया कि बीएनएसडी शिक्षा निकेतन, पंडित दीनदयाल, सेंट जॉन्स, एसराज पब्लिक के साथ सभी प्राईवेट स्कूल फीस में दोगुनी बढ़ोतरी कर दी है, जिसके कारण हमें अपने बच्चों का अभी तक एडमीशन नहीं करा पाए। बबलू अवस्थी ने बताया कि मेरे दो बेटे पंडित दीनदयाल में पढ़ते हैं। कक्षा नौ में बड़े बेटे से स्कूल प्रबंधक ने फीस सहित अन्य चार्ज लागकर तीन माह के 23930 रूपए लिए हैं, जो शासन के नियम के विरूद्ध है।
झुनझुना हिलाकर किया प्रर्दशनयोगी सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाने के लिए एक विधेयक विधानसभा में पारित कर नया अध्यादेश लायी थी। जिसके तहत प्राईवेट स्कूल संचालक सरकार के नियमों का पालन करना था और नहीं करने पर स्कूल की मान्यता सहित एफआईआर का प्रावधान था। लेकिन सीएम के अध्यादेश का कानपुर के एक भी प्राईवेट स्कूल में पालन नहीं हो रहा। इसी के कारण बुधवार को अभिभावक अपने-अपने घरों से निकले और
हाथों में झुनझुना बजाते हुए कमिश्नर के कार्यालय के पास प्रदर्शन करने लगे। अभिभावकों को उम्मीद थी कि अध्यादेश पारित होने के बाद यूपी में गुजरात मॉडल पर फीस फार्मूला लागू होने होगा। इस माह उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतन्त्र विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश लाया गया और राज्यपाल ने इसे अनुमोदित भी कर दिया। लेकिन खुद को कानून से उपर समझने वाले कई पब्लिक स्कूलों ने अध्यादेश को रद्दी टोकरी में फेंक अपने अनुसार फीस वसूल रहे हैं।
सीएम को भेंट करेंगे अध्यादेशगुस्साऐ सैंकड़ों अभिभावक झुनझुना बजाते हुए कानपुर के कमिश्नर आफिस पहुंचे। अध्यादेश में कमिश्नर को कानून लागू करने की विधायी शक्तियॉ दी गयी हैं। प्रदर्शनकारी अभिभावकों ने कहा कि सरकार साफ करे कि क्या ये एक खिलौना कानून है। अगर ऐसा नहीं है तो मनमानी करने वाले स्कूलों पर तत्काल कार्यवाही की जाए। अभिभावकों ने ऐलान किया कि अगर स्कूलों ने बढ़ी फीस वापस नहीं ली तो अध्यादेश की प्रतियां झुनझुने में लपेट कर मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ को भेंट की जाएंगी। संयोजक अभिमन्यु गुप्ता ने बताया कि अधिकतर प्राईवेट स्कूल चारों रातनीतिक दलों के नेताओं के शहर में चल रहे हैं और उन पर अधिकारी हाथ धरने से कतर रहे हैं।
बीएनएसडी- दीनदयाल सीएम के खाससंयोजक अभिमन्यु गुप्ता ने बताया कि कानपुर के दो बड़े स्कूल जो भाजपा और संघ से जुड़े हैं और सबसे ज्यादा बच्चों के अभिभावकों से यही फीस वसूलते हैं। खुद सीएम पंडित दीनदयाल में आ चुके हैं। अभिमन्यू गुप्ता ने बताया कि पंडित दीनदयाल में कक्षा नौ के बच्चे से 23 से 24 हजार तीन की फीस ली जा रही है। इसमें हवा, पानी, टॉयलेट, मेडिकल, स्पोर्टस, सहित कई अन्य चार्ज जोड़कर पैसे ले रहे हैं। जो अभिभावक इसका विरोध करता है तो उसके बच्चे को स्कूल से निकाल देते हैं। एक अभिभावक ने बताया कि मेरी बेटी कक्षा नौ की छात्रा है। तीन माह की फीस स्वरूप 23 हजार वसूले गए। हमने जब इसका विरोध किया तो प्रबंधक ने बेटी को स्कूल से बाहर करने की धमकी दी। हम सीएम से मांग करते हैं कि पहले पंडित दीनदयाल के खिलाफ कार्रवाई करें, तभी अन्य स्कूल सुधर जाएंगे।
अध्यादेश के नाम पर खानापूर्ति अभिभावक संघ का आरोप है कि इस अध्यादेश के बावजूद कोई बड़ी राहत मिलते नहीं दिख रही है। उनकी गणना के मुताबिक 15 हजार रूपये प्रति तिमाही फीस देने वाला बच्चा बारहवीं कक्षा पास होने तक 18 लाख रूपये केवल फीस के रूप में देगा और यूनीफार्म व कापी किताब मिलाकर 20 से 25 लाख तक का खर्च आयेगा। करण महेश्वरी ने बताया कि यूपी सरकार के इस अध्यादेश से बेहतर प्रावधान 2009 में
मायावती सरकार द्वारा जारी शासनादेश में थे जिसके खिलाफ स्कूल मैनेजमेण्ट एकजुट होकर स्टे ले आये थे। कहा, बेहतर रहता यदि योगी सरकार इस अध्यादेश की बजाय स्टे को खारिज कराकर उस शासनादेश को लागू करने की कवायद करती।