इस दौरान गुजरते हुए बिधनू स्थित सीएचसी के बाहर उनके समर्थकों की भीड़ खड़ी थी। अपने काफिले के साथ वो रुकी तो लोगों ने उनका स्वागत किया। उस दौरान अस्पताल में राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस कार्यक्रम होना था। इस पर चिकित्सकों ने कार्यक्रम शुभारंभ के लिए आग्रह किया। मुस्कराते हुए आगे बढ़ीं तो चिकित्सकों ने फीता काटने के लिए कैंची देते हुए फीता काटने का आग्रह किया तो उन्होंने फीता काटने से मना कर दिया। सभी लोग चौकन्ना हो गए।
फिर वो बोलीं काटना अच्छी बात नहीं होती है, चीजों को जोड़ना चाहिए, इससे खुशियां फैलती है और चारो तरफ खुशहाली आती है। इसके बाद उन्होंने बंधे फीते की एक तरफ की गांठ खोलकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। फिर उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद स्कूली बच्चो को अल्बेंडाजॉल की गोलियां अपने हांथ से खिलाकर उनका उत्साहवर्धन किया। उनके निधन के बाद उनके जीवन का सफर तो ख़तम जरूर हुआ लेकिन उनके ऐसे वाकया लोगों को लंबे अरसे तक उनकी याद दिलाते रहेंगे।