फैक्ट्री में करते थे काम
मूलरूप से गोरखपुर निवासी कलुआ ने बताया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ फरीदाबाद स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी करता था। जनता कफ्र्यू के बाद फैक्ट्रीं बंद हो गई। सभी मजदूरों को आने से रोक दिया गया। जिसके पास जो पैसा था उसी के जरिए तीन दिनों तक भोजन पकाया। तभी हमारे घर से मां के बीमार होने की जानकारी मिली तो हमनें गोरखपुर जाने का प्रण कर लिया। अपने साथी मजदूर रामभजन, विशम्भर सूरज, सुनील और अन्य चार के साथ साइकिल के जरिए गोरखपुर के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक जगह हमें भोजन मिला।
चकेरी में लोगों ने खिलाया भोजन
मजदूरों को चकेरी हाइवे पर समाजिक संस्था ने भोजन कराया तो उनका दर्द छलक पड़ा। सभी ने खाना न मिलने और मकान मालिक द्वारा एडवांस किराया मांगने की बात कही। कलुआ ने बताया कि दिल्ली, एनसीआर में मजदूरों के हालात बहुत खराब हैं। परिवार के साथ रहने वाले मजदूरों को मालिक घर छोड़ देने को कह चुके हैं। ऐसे दर्जनों मजदूर परिवार समेत फरीदाबाद से अपने-अपने शहर व गांवों के लिए निकल गए हैं। ,अन्य मजदूरों ने बताया कि यूपी के मुबाबले दिल्ली के अदंर काम करने वाले मजदूरों की हालत ज्यादा खबरा है।
सभी गोरखपुर के लिए रवाना
कानपुर से भी मजदूर गोरखपुर के लिए साइकिल से रवाना हो गए। स्थानीय लोगों ने मजदूरों की आर्थिक मदद की। कुछ लोगों ने उन्हें कानपुर में रूकने को कहा पर मजदूर नहीं मानें। साइकिल से कानपुर पहुंचे मजदूरों के पैरों में छाले थे। कुछ के पैरों में चोट भी लगी थीं। जिनकी मलहम पट्टी भी स्थानीय लोगों ने की।