गांववाले भी इन्हें बाबा के नाम से पुकारने के साथ इनकी रिसपेक्ट करते हैं। पत्रिका से खास बातचीत के दौरा गया बाबा कहा कि ई लोग तो मोटाई मा बागी बन रहे है। अब कउनौ उदेश्य हीं आय। केवल अयाशी और शराब के मारे आंतक फैला रहे हैं। ददुआ के बाद पाठा के मतलबै ही खतम कर लीन है। बबुली ससुरा आदना सा बदमाश है, जो पुलिसालन के साथ ही सफेदपोशन की मदद से गांववालन का सतावत है। हमार सीएम योगी से अपील है कि पाठा मा लोगन को रोजगार दिलाएं, और इन छुटभैयन को पकड़न की जगह गोली से दगवाएं।
16 साल की उम्र में बागी बने पाठा का जंगल कभी आबाद था, यहां के सात सौ के आसपास के गांवववाले तेंदूपत्ते के जरिए अपना भरण-पोषण करते थे। लेकिन बबेरू के अछौवां गांव के गया पटेल के घर और जीम पर दबंगों ने कब्जा कर लिया। गया के पिता ने जब इसका विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी। पिता की मौत का बदला देने के लिए 16 साल की उम्र में गया पटेल ने बंदूक उठा ली और पाठा में कूद गया। उसने पिता की मौत का बदला लिया और फिर इसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 20 साल तक पाठा के जंगलों में गया का राज रहा। यूपी, एमपी और राजस्थान की पुलिस गया के पीछे पड़ी रही, लेकिन उसकी परछाईं तक को हीं खोज पाई।
गया के ऊपर सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो गए और पचास हजार का इनाम भी सरकार ने घोषित कर दिया। गया ने एमपी के सीएम अर्जुन सिंह के कहने पर सरेंडर किया और कई साल जेल में बिताने के बाद वो जेल से बाहर आए। गया जेल से आने के बाद ब्लॉक प्रमुखी का चुनाव लड़ा और जीते। साथ ही वो जेल के अंदर रहकर चार बार गांव के सरंपची का चुनाव जीते। गया के चार बेटे व दो बेटी हैं। बड़ा बेटा वर्तमान में गांव का प्रधान है। वहीं छोटी बेटी की शादी सिवनी एमपी मैं बतौर जज के पद पर तैनात राजेंद्र पटेल के साथ हुई है।
तो उसे भगवान भी नहीं बचा सकता गया कहते हैं कि हम लोगों के समय बागी होने का एक उदेश्य होता था, लेकिन अब तो युवा बिना कारण के पाठा में कूछ रहे हैं। हम तो चाहते हैं कि सब जगह शांति हो, जिससे की लोग खुशहाल जीवन जी सकें। बबुली कोल सरीखे बागियों पर हर हाल में लगाम लगनी चाहिए। अब यूपी में भाजपा की सरकार है जो किसी को मारने पर विश्वास नहीं करती है, जो ठीक होकर मुख्यधारा में लौटना चाहे वो बंदूक छोड़ सकता है। लेकिन जो मरने और मारने पर आमादा है तो उसे भगवान भी नहीं बचा सकता। कहते हैं, बबली कोल डकैत नहीं बल्कि छुटभैया बदमाश है, जिसे पुलिस ने बढ़ाचढ़ा कर पेश का उसका रूतबा बढ़ा दिया। वो पुलिस के रहमो करम पर पलता रहा औैर तेंदूपत्ता की कमाई का हिस्सा उन्हें पहुंचाता रहा। वही आज खाकी के लिए सिरदर्द बना है। हम तो चाहते हैं कि इन्हें पकड़ कर मारने के बजाय इनके हाथ पैर काट देने चाहिए। जिससे की दूसरा ऐसी हिमाकत करने की न सोचे। गया विधायकों और मंत्रियों पर उंगली उठाते हुए कहते हैं कि वे ऐसे बदमाशों की पैरवी कर छुड़वाते रहते हैं, जो बाद में नासूर बन जाते हैं।
ददुआ हमारा चेला था, पांच साल तक गैंग में रहा गया पटेल ने पाठा के राजा ददुआ के बारे में बताते हैं, कि उसने मजबूरी के तहत हथियार उठाए। तीस साल तक पाठा में राज किया, लेकिन कभी गरीब-गुरबा को परेशान नहीं किया। महिलाओं की पो इज्जत के साथ ही पूजा करता था। इसी के चलते वो पुलिस की पकड़ से दूर रहा। गया ने बताया कि जब ददुआ की उम्र 16 से 17 साल की होगी, तब वो हमसे मिलने के लिए आया। हमने बागी बनने का उदेश्य पूछा तो उसने कहा कि खराब व्यवस्था के चलते जंगल में कूदा हूं।
मेरा लम्मबारदरों और राजनेताओं से प्राताड़ित गरीब जनता की सेवा करना है। हन उसकी बात से प्रभावित हो गए और अपनी खुद की राइफल उसे तोहफे में दिया। पांच साल तक वो हमारा चेला रहा। हमने जब सरेंडर किया तो ददुआ से साथ आने को कहा, लेकिन उसने कहा था कि जब तक एक-एक गरीब का घर खुशहाल नहीं हो जाता, तब तक पाठा मैं नहीं छोड़ सकता। गया ने बताया कि ददुआ को पुलिस ने नहीं बसपा सरकार के एक मंत्री के करीब ने मौत के घाट उतारा था। ददुआ के पास कोई भी नहीं पहुंच सकता था।
जब फूलन ने कहा दादा मदद के लिए आएं गया बताते हैं कि ठाकुर समाज के लोगों की हत्या के बाद पुलिस फूलनदेवी के पीछे पड़ गई। उसने एक साथ को पाठा भेजकर हमारे पास संदेश भिजवाया। हमें जैसे ही फूलन का संदेश मिला तो फतेहुर से कानपुर होते हुए औरैया पहुंचे। एक टीले पर फूलन अपने साथियों के साथ मौजूद थी। हमें देखते ही वो रोने लगी और कहा कि दादा हमें बचाईए, हम जीना चाहते हैं। फूलन को हमने बचन दिया कि अब तुम्हें कोई छू नहीं सकता और उसे लेकर बांदा लौट आए। इसी दौरान बागियों को सरेंडर करवाने की मुहिम एमपी के सीएम अर्जुन सिहं ने छेड़ रखी थी। हम, फूलन और लाखन ने अर्जुन सिंह के समाने समर्पण कर दिया। गया बताते हैं कि हम लोग जंगल में एक जगह कभी नहीं ठहरते थे और रात में हररोज 15 किमी पैदल चलते थे। साथ बहन के गांव का पानी तक नहीं पीते थे।