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चचेरे भाई की हुकूमत देख भड़का डॉन, जेल से सुना दिया मौत का फरमान

locationकानपुरPublished: Apr 19, 2018 12:04:31 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

अनुराग की पत्नी ने दर्ज करवाई एफआईआर, विकास दुबे सहित चार अन्य पर लगाया जानलेवा हमले का आरोप

अनुराग की पत्नी ने दर्ज करवाई एफआईआर, विकास दुबे सहित चार अन्य पर लगाया जानलेवा हमले का आरोप
कानपुर। कल्याणपुर थानाक्षेत्र सिथत दो दिन पहले अनुराग दुबे पर जानलेवा हमला करने और करवाले वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका चचेरा भाई विकास दुबे निकला। डॉन ने माती जेल में बैठकर साजिश रची और अपने गुर्गो के जरिए अनुराग को गोली मरवाई। गोली लगने से तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनका इलाज एक प्राईवेट हॉस्पिटल में चल रहा है। पुलिस ने अनुराग की पत्नी की तहरीर पर विकास सहित चार अन्स लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश कर रही है।
अनुराग को लगी तीन गोलियां
पूर्व जिला पंचायत सदस्य रीता दुबे ने बताया कि 17 अप्रैल की रात करीब पौने नौ बजे उनके पति अनुराग दुबे पड़ोसी राकेश सिंह, भतीजा अंशु व भतीजा रोहित तिवारी राकेश के घर के बाहर सड़क किनारे कुर्सी डाल कर बैठे बात कर रहे थे। तभी अमन तिवारी व पवन तिवारी दोनों पुत्र कमलेश तिवारी और रज्जन अवस्थी पुत्र रामनाथ अवस्थी निवासी शिवली कानपुर देहात वहां आ पहुंचे। उनके पास पिस्तौल और बंदूक थी। आते ही वह लोग अनुराग और राकेश पर गोलियां बरसाने लगे। गोलियों की आवाज सुनकर वह बाहर आईं तो देखा कि अनुराग जमीन पर लहूलुहान पड़े हैं। रज्जन के हाथ में बंदूक थी और अमन व पवन के हाथों में पिस्तौल थी। शोर मचाने पर वह लोग हवाई फायर करते हुए बंबा रोड की ओर भाग निकले, जहां अमन तिवारी की सफेद रंग की स्कॉर्पियो खड़ी थी। रीता के मुताबिक गाड़ी का नंबर 6325 वह पढ़ पाईं। इसके बाद घायल अनुराग और राकेश को पड़ोसियों की सहायता से हैलट ले जाया गया। हालत गंभीर होने पर रीजेंसी में भर्ती कराया।
इस लिए वारदात को दिया अंजाम
शिवली क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे की, जिसे कुछ माह पहले लाखनऊ में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। इसके खिलाफ 60 से ज्यादा मामले यूपी के कई जिलों के थानों में चल रहे हैं। इस पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम रखा हुआ था। हत्या व हत्या के प्रयास के मामले पर पुलिस इसकी तलाश कर रही थी। विकास दुबे पुलिस से बचने के लिए लखनऊ स्थित अपने कृष्णानगर के घर पर छिपा हुआ था। शासन ने कुख्यात हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए लखनऊ एसटीएफ को लगाया था। एसटीएफ ने सटीक सूचना पर उसे कृष्णानगर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विकास को शक था कि उसे जेल अनुराग ने भिजवाया है। क्योंकि अनुराग का कई बड़े भाजपा नेताओं से संपर्क थे। इसकी भनक जब विकास को लगी तो उसने अनुराग का खेल खत्म करने का प्लॉन माती जेल के अंदर बना डाला।
पहाड़ी से भी खतरनाक है विकास दुबे
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की यूपी के चारो राजनीति दलों में अच्छी पकड़ थी। 2002 के वक्त तब मायावती सूबे की सीएम थी तब इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपरु, रनियां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था। इस दौरान इसने जमीनों पर अवैध कब्जे के साथ अन्य गैर कानूनी तरीके से संपत्ति बनाई। जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचयात अध्यक्ष का चुनाव जीत गया। बसपा सरकार के एक कद्दावर नेता से इसके गहरे संबंध थे। इस दौरान विकास ने गैरकानूनी कार्य पर खुद का एक बड़ा गैंग खड़ा कर लिया। इसके ऊपर 60 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जो डीटू गैंग के सरगना मोनू पहाड़ी से भी ज्यादा है। अनुराग की पत्नी ने रीता ने बताया कि माती जेल में बंद रिश्तेदार विकास दुबे पुत्र राम कुमार दुबे अनुराग से राजनीतिक प्रतिद्वंदिता रखते हैं। इसी के चलते विकास ने अपने भांजे अमन व पवन तिवारी और रज्जन अवस्थी के साथ योजना बनाकर इस घटना को अंजाम दिया है।
लॉकप तोड़कर उतारा था मौत के घाट
2001 में यूपी में भाजपा सरकार बनी तो संतोष शुक्ला को दर्जाप्राप्त मंत्री बनाया गया। इसी के बाद से विकास दुबे की उलटी गिनती शुरू हो गई। उसी वक्त विकास बसपा के साथ ही भाजपा नेताओं के संपर्क में आ गया। भाजपा नेताओं ने संतोष शुक्ला और विकास के बीच सुलह करानी की कोशिश की, लेकिन वो कामयाब नहीं रहे। उसी दौरान संतोष शुक्ला ने सत्ता की हनक के बल पर इसका इनकाउंटर कराने का प्लान बनाया। जिसकी भनक विकास को हुई तो इसने संतोष को मारने के लिए अपने गुर्गो के साथ निकल पड़ा। 2001 में संतोष शुक्ला एक सभा को संबोधित कर रहे थे, तभी विकास अपने गुर्गो के साथा आ धमका। संतोष शुक्ला पर फायरिंग शुरू कर दी। वो जान बचाने के लिए शिवली थाने पहुंचे, लेकिन विकास वहां भी आ धकमा और लॉकप में छिपे बैठे संतोष को बाहर लाकर मौत के घाट उतार दिया।
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