व्यक्ति को मौत के मुंह से सुरक्षित वापस लाने की शक्ति रखने वाले महामृत्यंजय मंत्र में भी सुगंध का महत्व बताया गया है। सुगंधिम पुष्टि वर्धनम के उच्चारण से यह बात सिद्ध भी होती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सुगंध की इस नई विधा पर शहर के दो युवा वैज्ञानिक डा. अजय तिवारी और इंजीनियर शेषमणि तिवारी ने शोध किया है। इसके परिणाम अभी तक काफी सकारात्मक आए हैं। इन दोनों युवाओं की सुगंध पर आधारित ज्योतिषीय गणना को पिछले दिनों वाराणसी में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भी सराहा गया था।
दोनों वैज्ञानिकों का कहना है कि तमाम तरह की प्राकृतिक सुगंध को एक निश्चित अनुपात में मिलाने पर एक ऐसे मिश्रण का निर्माण हो रहा है, जो किसी व्यक्ति विशेष के नवग्रहों, सातों चक्र, और औरा को संतुलित करने की चमत्कारिक क्षमता प्रदान करता है। वह नकारात्मकता से लडऩे में, तनाव मुक्त रखने में व्यक्ति की मदद करता है। दोनों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों के अध्ययन में उन्होंने इस सुगंधित मिश्रण का 500 से ज्यादा लोगों पर प्रयोग किया है, जिसके परिणाम बहुत सकारात्मक आए हैं।
व्यक्ति को कौन सी सुगंध रोजाना प्रयोग करनी है, यह उसके ग्रह, नक्षत्र के अनुसार तय किया जाता है। पहले व्यक्ति का परीक्षण किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में एक व्यक्ति पर करीब एक घंटे का समय लगता है। इसमें प्रत्येक ग्रहों के साथ मिलान से यह तय होता है कि व्यक्ति में कितनी सकारात्मक ऊर्जा है और कितनी नकारात्मक। उसी के आधार पर सुगंध का चयन किया जाता है।