ऐसा पहली बार हुआ है, जब मिर्च की जलन के दम पर कोई आतंकी जिंदा पकड़ा गया हो। कश्मीर में एक आतंकी को सेना ने घेर लिया था। बीस घंटे से दोनों तरफ से गोलाबारी जारी थी। आखिर में सेना ने मिर्च ग्रेनेड को उस घर में फेंका, जहां आतंकी छिपा था। ये ग्रेनेड जान तो नहीं लेता लेकिन जान के लाले जरूर पड़ जाते हैं। इस ग्रेनेड में दुनिया की घातक मिर्च भूत झोलकिया को मुख्य अवयव के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसके फटते ही ये गला चोक कर देता है और आंखों में भीषण जलन पैदा करता है। दम घुटने पर आतंकी बाहर भागा और उसे जिंदा पकड़ लिया गया।
डीएमएसआरडीई में लगी प्रदर्शनी में एक से बढ़कर एक उत्पादों को देखा जा सकता है। इन्हीं में से एक है मिर्च ग्रेनेड, जिसका नाम है कैप्सीग्रेनेड। इसके अलावा डीएमएसआरडीई कानपुर ने फ्लैक्स बॉटल बनाई है, जो छह घंटे तक पानी को उसी स्थिति में रखती है, जिस स्थिति में उसे भरा जाता है। पहाड़ों से लेकर मैदानों तक सैनिक झरने, नदी और तालाब से पानी भर लेते हैं। डीएमसआरडीई के राजकिशोर ने बताया कि इनमें तमाम तरह के बैक्टीरिया और अन्य तत्व होते हैं, जो पानी को खराब कर देते हैं लेकिन इस बोतल में पानी आने के बाद छह घंटे तक उसी स्थिति में रहेगा, उसे भरा गया था। एक लीटर की ये बोतल माइनस 40 डिग्री से 110 डिग्री सेल्सियस तक का पानी वहन करती है। इसी तरह सौ फीसदी शुद्ध टिन मैस बनाया गया है।
प्रदर्शनी में बताया गया कि वैज्ञानिक प्लास्टिक के हैंडग्रेनेड पर काम कर रहे हैं। डीएमएसआरडीई के निदेशक डॉ. एन. ईश्वरा प्रसाद ने बताया कि अभी ग्रेनेड का कवर प्लास्टिक का होता है लेकिन अंदर धातु के छर्रे भरे होते हैं। कश्मीर में हिंसक भीड़ पर इसके इस्तेमाल से आंखों को गंभीर चोट पहुंचती है। ऐसे हैंड ग्रेनेड बनाए जा रहे हैं, रबर व प्लास्टिक के छर्रे होंगे। इससे भीड़ को नुकसान नहीं पहुंचेगा। एक साल में तैयार हो जाएगा।