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लॉकडाउन में इन महिलाओं के लिए सहारा बनी पीएम मोदी की ये योजना, परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को लाभ

locationकानपुरPublished: Sep 14, 2020 07:02:09 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

ज़िले में कुल 1367 समूह गठित हैं, जिनसे 27 हज़ार 238 परिवार जुड़े हैं।

लॉकडाउन में इन महिलाओं के लिए सहारा बनी पीएम मोदी की ये योजना, परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को लाभ

लॉकडाउन में इन महिलाओं के लिए सहारा बनी पीएम मोदी की ये योजना, परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को लाभ

कानपुर देहात-कोरोना महामारी में लगा लॉकडाउन लोगों के रोजगार पर बड़ा संकट बनकर सामने आया। काम धंधे बंद हुए तो बड़ी तादाद में बेरोजगारी भी बढ़ी। वहीं महिलाओं के लिये यह संकट कुछ ज़्यादा ही गहरा गया। ऐसे समय में प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर और लोकल का नारा कारगर साबित हो रहा है, जिसका असर भी देखने को मिल रहा है। यूपी के कानपुर देहात जनपद ने जो कदम उठाया है वह इस दिशा में बेहतर शुरुआत कही जा सकती है। दरअसल जिले के बेसिक शिक्षा विभाग ने महिलाओं को लाखों बच्चों के लिये स्कूल ड्रेस तैयार करने को कहा है। ज़िले में करीब 2268 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें लाखों बच्चे पढ़ते हैं।
सरकार इन बच्चों को निशुल्क स्कूल ड्रेस उपलब्ध कराती है। अब तक ये ड्रेस कानपुर, लखनऊ और दिल्ली के बड़े बड़े सप्लायर्स से लिये जाते थे। लेकिन इस महामारी के दौर में बढ़ी बेरोज़गारी के संकट को देखते हुए अब स्थानीय स्तर पर ही इसकी उपलब्‍धता सुनिश्चित करायी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओ को रोज़गार देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम शुरू हुआ है। बताया गया कि ज़िले में कुल 1367 समूह गठित हैं, जिनसे 27 हज़ार 238 परिवार जुड़े हैं। स्कूली ड्रेस सिलाई के कार्य से पहले 04 महिलाओ को विशेष तौर पर प्रशिक्षण देकर इससे जोड़ा गया।
इसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों से इन महिला समूहों को 19 हज़ार 809 मीटर शर्ट का कपड़ा, 8 हज़ार 607 मीटर पैन्ट और 245 मीटर सलवार का कपड़ा मिला है। इसमें से अभी स्कूल ड्रेस के लिये 6 हज़ार 183 पीस शर्ट, 2 हज़ार 201 पीस पैन्ट, 2 हज़ार 134 पीस स्कर्ट और 60 पीस शलवार सूट तैयार हो चुका है। स्कूली बच्चों के ड्रेस सिलाई के काम में जुटी महिलाओ को घर बैठे रोजगार मिल रहा है। महिलाओं ने बताया कि हर रोज 400 से 500 सौ रूपये कमा रही हैं। सिलाई के साथ-साथ उनसे जुड़े समूहों की महिलाएं व बेटियां अगर सिलाई सीखना चाहती हैं तो उनको हम लोग सिलाई की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। बड़े पैमाने पर महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। हमलोग बहुत खुश हैं।
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