कानपुर

गंगा सम्मेलन में कानपुर से प्रधानमंत्री मोदी देंगे गंगा की निर्मलता का मंत्र

आईआईटी में होगा गंगा सम्मेलन का आयोजन गंगा से जुड़े राज्यों के मुख्यमंत्री भी होंगे शामिल

कानपुरAug 16, 2019 / 01:29 pm

आलोक पाण्डेय

गंगा सम्मेलन में कानपुर से प्रधानमंत्री मोदी देंगे गंगा की निर्मलता का मंत्र

कानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा सम्मेलन के जरिए देश को गंगा की निर्मलता का मंत्र देंगे। यह सम्मेलन कानपुर आईआईटी में आयोजित होगा, जिसकी तैयारियां तेजी पर हैं। इस आयोजन के लिए अगस्त के अंत या सितंबर के मध्य का समय तय किया जाएगा। इस कार्यक्रम में गंगा से जुड़े राज्यों के मुख्यमंत्री भी शिरकत करेंगे।
बड़े पैमाने पर हो रहीं तैयारियां
प्रशासन ने प्रधानमंत्री के आगमन पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शहरी विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित होने वाले इस समारोह में गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर व्यापक मंथन किया जाएगा। प्रयागराज से हल्दिया तक गंगा में बने राष्ट्रीय जलमार्ग की जरूरतों पर भी चिंतन किया जाएगा। गंगा का प्रवाह उत्तराखंड राज्य की गंगोत्री से आरंभ होता है और वह हरिद्वार के बाद उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करती हैं। यहां से होते हुए बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में गंगासागर तक जाती हैं।
ये मुख्यमंत्री किए गए आमंत्रित
गंगा सम्मेलन में अतिथि राज्य उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आमंत्रित हैं। सम्मेलन में विश्व की पांचवीं सबसे प्रदूषित नदी गंगा में प्रदूषण को रोकने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाएगा। जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत ने आयोजन की तैयारी को लेकर आइआइटी परिसर का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने सम्मेलन के प्रस्तावित स्थल से लेकर सेफ हाउस तक के स्थानों का निरीक्षण किया।
उत्तराखंड से बंगाल तक गंगा
उत्तराखंड में गोमुख से लेकर पश्चिम बंगाल के गंगासागर तक गंगा के जल से दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र सिंचित है। उत्तराखंड से शुरू होकर यह बंगाल की खाड़ी सुंदरवन में गिरती हैं। इसकी खास बातें इसे सबसे महत्वपूर्ण बनाती है। अन्य नदियों की तुलना में गंगा का ऑक्सीजन लेवल 25 फीसद ज्यादा होता है। खास यह भी कि गंगाजल कभी सड़ता नहीं है और यह बैक्टीरियारोधी शक्ति से युक्त होता है, इसीलिए गंगा के पानी में मच्छर पैदा नहीं हो सकते। ब्रिटिश शोध के अनुसार भी गंगाजल में तीन घंटे में बैक्टीरिया मर जाते हैं। फिर भी गंगा नदी दुनिया की पांचवी सबसे दूषित नदी है और यह अन्य नदियों से 15 से 25 गुना तेज कार्बनिक कचरे को विघटित करती है।
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