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कानपुर में सिक्के बने सिरदर्द, पुलिस नहीं कर रही मदद

locationकानपुरPublished: Dec 19, 2017 10:51:28 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बाजार में दो सौ करोड़ के सिक्के कारोबारियों के साथ आम पब्लिक के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।

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विनोद निगम.
कानपुर. बाजार में दो सौ करोड़ के सिक्के कारोबारियों के साथ आम पब्लिक के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। दुकानदार लेने को तैयार नहीं, तो बैंक वाले जमा करने से कतराते हैं। इसी के चलते सिक्के कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं। सिक्कों को लेकर मची त्राही-त्राही से मनी एक्सचेंज का कारोबार करने वालों का कहना है कि जहां सिक्कों की जरूरत वहां इन्हें ले जाने में पुलिस अड़ंगा न लगाए, तो यह समस्या चंद दिनों में समाप्त हो सकती है। सिक्कों की भारी डिमांड गैर जिलों व कई राज्यों में है, पर इन्हें ले जाते वक्त खाकीधारी आ जाते हैं और कारोबारियों को परेशान करते हैं। अगर शासन-प्रशासन इस पर लगाम लगा दे तो सिक्कों की समस्या जड़ से खत्म हो जाए।
200 करोड़ के सिक्कों से पटे बाजार-
बैंकों की मनमानी और भारतीय रिजर्व बैंक की चुप्पी जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है। करोड़ों रुपये के सिक्कों तले दबे कारोबारी अब सिक्कों के चलते हलकान हैं। आम आदमी की जेब पर सिक्कों का अधिक बोझ पड़ रहा है। बैंक जहां सिक्के जमा करने से इन्कार कर रहे हैं और तो वहीं आरबीआई इस संबंध में कोई कड़ा कदम नहीं उठा रही है। इस समय 200 करोड़ रुपये से अधिक के सिक्के बाजार में हैं। सिक्कों की बहुतायत को देखते हुए कारोबारियों ने सिक्के लेना बंद किया तो कारोबार पर असर पड़ने लगा। उन्होंने सिक्के लेने शुरू किए तो कारोबारी पूंजी फंसने लगी। नयागंज के कटे-फटे नोट व रेजगारी बदलने का कारोबार करने वाले कानपुर मुद्रा विनियम व्यापार मंडल के महामंत्री हेंमत मिश्रा ने बताया कि इससे निजात पाने के लिए पुलिस को मित्र बनना होगा। पुलिस सिक्कों को दूसरे जिलों व राज्यों में ले जाने में छूट दे तो यह समस्या दो दिन के अंदर खत्म हो जाएगी।
मनी एक्सचेंजर्स ने बताई हकीकत-
सिक्कों की विकराल होती समस्या पर मनी एज्सचेंजर्स से बात की गई तो उन्होंने तस्वीर का दूसरा पहलू भी दिखाया। मुद्रा विनियम व्यापार मंडल के महामंत्री हेंमत मिश्रा ने बताया कि इस सारी समस्या के पीछे सिर्फ और सिर्फ सिक्कों को गैर जिलों या गैर सूबा ले जाने में सामने आने वाली दिक्कतें हैं, जो अनावश्यक अड़न्गें न लगाए जाएं तो कानपुर और आसपास के जिलों में सिक्कों को लेकर मचा बवाल चंद दिनों में ही थम सकता है। मिश्रा ने बताया कि अभी स्थित यह है कि व्यापारी अगर सारी सरकारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी बड़ी मात्रा में सिक्के बाहर ले जा रहा है तो भनक लगते ही पुलिस न उसे केवल पकड़ लेती है बल्कि सिक्के गलाने का आरोप लगाकर उसे कानूनी झमले में फंसा देती है।
बकेवर पुलिस ने सिक्के गलाने के आरोप में पकड़ा
मिश्रा कहते हैं कि ऐसे मामलों में व्यापारी कागज आदि दिखाकर सिक्के छुड़ा तो लेते हैं लेकिन इस सारे चक्कर में उन्हें हजारों रूपए नाहक खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में मुद्रा विनिमय का काम करने वाले व्यापारी अब डमप पड़े सिक्के के इस्तमाल के लिए समय का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि दो चार माह में जब भी हालात अनुकल होंगे वह इन सिक्कों का निपटरा कर लेंगे। नयांगज में मनी एक्सचेंज का काम करने वाले पांच व्यापारियों ने कुछ लाख के सिक्के जरूरी प्रपत्रों के साथ एक गाड़ी में लोडकर बाहर भेजे। बकेवर में पुलिस ने उन पर सिक्के गलाने के लिए ले जाने का आरोप लगाते हुए सिक्कों की खेन सीज कर दी। व्यापारियों ने सिक्कों की व्यधता के कागज दिखाए तो कहा गया कि कचहरी से छुड़ा लो। इस सारे समेले में बच्चीस से तीस हजार खर्च हो गए। ऐसे में लगता है सिक्के बदलने का काम ही न करें।
नोटबंदी के दौरान सिक्कों की आई खेप-
पिछले साल नोटबंदी से पहले कानपुर में सिक्कों की इतनी किल्लत थी कि दुकानदार एक या दो रूपया वापस करने के स्थान पर उतने मुल्य की टॉफी पकड़ा देता था। लेकिन जब नोटबंदी हुई तब बैंकों में पुराने यानि प्रचलन से बाहर हुए नोटों को बदलवाने के लिए कतारें लगीं। ऐसे में बैंकों ने अपने पास डमप पड़े सिक्कों को भी पुराने नेटों के बदले ग्राहकों को थमा दिया। बस इसके बाद ही बाजार में सिक्कों की इतनी भरमार हो गई कि सिक्के हर आदमी के लिए बड़ी समस्या बन गई है। मिश्रा कहते हैं कि यूपी के सीएम चाहे तो पुलिस पर शिकंजा कस इस समस्या से पब्लिक के साथ ही कारोबारियों को निजाद दिला सकते हैं।
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