इस घटना को लेकर सियासी दलों की राजनीति गरमाई, विपक्षियों ने सत्ताधारी सरकार को आड़े हांथ लिया
कहा कि इस गांव में जो घटना हुई है, यह घटना बहुत बड़ी है।

कानपुर देहात-थाना गजनेर क्षेत्र के गांव मंगटा में हुए बवाल पर अब सियासी दलों की राजनीति जिला प्रशासन के सामने चुनौतियां खड़ी करता नजर आ रहा है। जहां एक ओर जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मामले को शांत कराकर आरोपियों की गिरफ्तारी में लगे हुए हैं। वहीं सियासी दल राजनीति कर मामला गर्म कर रहे हैं। वहीं गांव में सपा का 6 सदस्य प्रतिनिधि मंडल दलित परिवारों को देखने पहुंचा और गांव के दलितों की आपबीती भी सुनी। सपा के प्रतिनिधिमंडल के साथ आए सर्वेश अंबेडकर ने गांव की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए दूसरे समाज और बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया। कहा कि इस गांव में जो घटना हुई है, यह घटना बहुत बड़ी है। बीजेपी सरकार में कार्यालयों में फोटो तो लगवाई जाती है, लेकिन वही फोटो पर माला और विचारों पर ताला जैसा खेल होता दिखाई दे रहा है।
इस घटना से देश में दुख का माहौल है और सरकार की नाकामी उजागर हो रही है। बीजेपी सरकार आंकड़े तो पेश करती है और घड़ियाली आंसू दिखाती है, लेकिन यह सरकार हिजड़ी, गूंगी और बहरी सरकार है। हम इसका विरोध करते हैं। इस घटना के पीड़ितों का सही इलाज का प्रबंध नहीं किया गया। इस सरकार में न मरने की इजाजत है और ना जीने की मर्जी। इस सरकार में दलित, पिछड़े, मुसलमान को घुट घुटकर मारने का काम किया जा रहा है। वहीं सपा का प्रतिनिधि मंडल जब दलित परिवारों से मिलकर लौट रहा था, तभी गांव की सवर्ण समाज की महिलाओं ने सपा के प्रतिनिधि मंडल के काफिले को गांव के रास्ते पर ही रोक लिया और दूसरे समाज के द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की बात कही। उन्होंने बताया पहले हम लोगो के साथ दूसरे समाज ने मारपीट की थी और विवाद भी उन्हीं लोगों ने शुरू किया था।
साथ ही गांव में सियासी दलों के नेताओं समेत जिले के पुलिस प्रशासन के द्वारा एक तरफा कार्यवाही को लेकर न्याय की गुहार लगाई। महिलाओं की गुहार पर सपा के नेता न्याय का भरोसा दिलाते हुए गांव से रवाना हो गए। वहीं महिलाओं ने बताया कि हम लोगों ने सपा के नेताओं को इसलिए रोका था कि हम लोगों की बात भी सुनी जाए। गांव में आने वाले सियासी दल के नेता और अधिकारी हम लोगों की बात नहीं सुन रहे हैं और ना ही मेरी तरफ से कोई रिपोर्ट दर्ज की जा रही है। हम लोग जब भी अपनी फरियाद लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं तो हमारे लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और हम लोगों को वापस भेज दिया जाता है। पुलिस प्रशासन समेत सियासी दल के नेता एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं। जबकि गांव के उक्त लोग शाम के वक्त हमारे समाज की महिलाओं के साथ बदतमीजी व छेड़छाड़ करते हैं। यही नहीं पुलिस के संरक्षण में गांव में दलित नेताओं ने भीम रैली तक निकाली है और हम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है।
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