कानपुर

प्रदूषण की परत से सहमा कानपुर, धुंध के चलते जनजीवन प्रभावित

दिल्ली में धुंध ने कहर बरपाया हुआ है इसी के चलते इसने शहर में दस्तक दे दी है, जिसके चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है।

कानपुरNov 10, 2017 / 08:16 am

आकांक्षा सिंह

कानपुर. दिल्ली में धुंध ने कहर बरपाया हुआ है इसी के चलते इसने शहर में दस्तक दे दी है, जिसके चलते जनजीवन प्रभावित हुआ है। पंजाब से दिल्ली और फिर कानपुर पहुंचा खतरनाक प्रदूषण दिल के रोगियों के साथ ही आमशहरी की तबियत बिगाड़ रहा है। सीएसए के कृषि वैज्ञानिक अनुद्ध दुबे ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस वर्ष इसका कहर ज्यादा देखने को मिल रहा है। क्योंकि हवा में रफ्तार कम होने कारण प्रदूषण की यह परत शहर में थमी और जमी है। शहर में धुंध के बादल सात सौ फिट ऊंचाई तक छाए है और अभी इनके पांच से दस दिन तक छटने के आसार बिलकुल नहीं दिख रहे। वहीं मामले पर हैलट के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि दिल के रोगियों के साथ ही जुकाम पीड़ितों को इस वक्त सावधानी बरतनी होगी। ऐसे लोगों को घर से निकलते समय मास्क का उपयोग करना चाहिए। घर पर हवा को साफ रखने वाले प्लांट जैसे एलोवेग, आईवी स्पाइडर प्लांट लगाने व खाने में अदरक व तुलसी की चाय का सेवन करना चाहिए।


दिल्ली के रास्ते पहुंचा शहर


पंजाब में धान की कटाई से उड़ने वाली गर्द व खेतों में जलती पराली ने कानपुर में दस्तक दे दी है, जिसके चलते सुबह से लेकर रात तक आकाश में धुंध साफ तौर पर दिख रही है। इसके कारण जहां हादसे बड़े हैं, वहीं मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक अनरूद दुबे ने बताया कि पंजाब में धान की कटाई के बाद वहां पराली जलाई जाती है। इसी का धुआं दिल्ली के रास्ते कानपुर पहुंचता है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष इसका कहर ज्यादा है। क्योंकि हवा में रफ्तार कम होने प्रदूषण की यह परत शहर में जीम हुई है। अगर तेज हवाएं नहीं चली तो अभी एक सप्ताह से ज्यादा तक इसके कहर से आमपब्लिक को जूझना पड़ सकता है।


हवा की रफ्तार बहुत कम


सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध दुबे के मुताबिक शहर में छाई धुंध का सबसे बड़ी वजी हवा की रफ्तार कम होना है। अभी हवा की जो रफ्तार है वो एक किमी प्रतिघंटा है जो कि धुंध छांटने में नाकाफी है। 15 से 20 किमी.की रफ्तार से हवाएं चलें तब यह धुंध छंटेगी। मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि शहर का न्यूनतम तापमान गिरकर 14.2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है जो कि सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम है। अधिकतम तापमान 29.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है यह भी सामान्य से एक डिग्री नीचे है। मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक जंगल धीर-धीरे खत्म हो रहे हैं। इसके चलते कोहरे ओर धुंध ने अपने पैरे पसार लिए हैं। पिछले तीन से चार सालों में प्रदूषण ने ज्यादा प्रभाव डाला है।


तो प्रदूषण भी साथ में बह जाता


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप मिश्रा कहते हैं मौसम तेजी से बदल रहा है। आर्द्रता रुकी हुई है। आम और पर आर्द्रता 30-35 के बीच रहे तो स्थिति को सामान्य कहा जा सकता है मगर यहां आर्द्रता 61 प्रतिशत हो चुकी है और यहीं ठहरी हुई है। अब हवा चल नहीं रही है। ऐसी स्थिति में धूल और धुएं का प्रदूषण कहां जाए। हवा चलती है तो प्रदूषण भी साथ में बह जाता है। रात के समय पृथ्वी जल्दी ठंडी हो जा रही है। वायुमंडल अभी भी गरम है। ऐसे में ऊपर की गरमी ठंडी हो रही धरती की तरफ बढ़ रही है। इसे थर्मल इनवर्सन कहते हैं। अब पीएम 2.5 के जितने भी कण हैं वे पृथ्वी की सतह पर ही रह जा रहे हैं और नमी में बैठ गए हैं। इससे धुंध बढ़ रही है।

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