मछली खाने के शौकीन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। मछलियों में पनप रही ट्यूमर और पैरासीड्स जैसी बीमारी का शिकार इसे खाने वाले भी बन रहे हैं। उनमें कैंसर तेजी से फैल रहा है। इनवायरमेंट, हेल्थ एंड बायोसाइंसेज विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में यह जानकारी दी गई।
नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते कई जलीय जीव प्रजातियां विलुप्त भी हो रही हैं। इनमें बतख, मेंढक, कछुआ, व्हाइट बेलिड हेरॉन पक्षी आदि शामिल हैं। पहले गंगा में ३०० प्रजातियों के जलीव जीव थे जो अब २०० ही बचे हैं। डॉ. कैलाश चंद्रा ने बताया कि समुद्री इलाकों में भी २२ हजार ४४४ प्रजातियां पाई जाती थीं, जिनमें कई विलुप्त होती जा रही हैं।
जेएडएसआई के निदेशक डॉ. चंद्रा ने बताया कि जीव-जंतुओं की ऐसी प्रजातियां तैयार की जा रही हैं जो प्लास्टिक को खत्म कर सकें। पौधों में भी मेडिसिनल प्रजातियां को तैयार करने के लिए शोध चल रहा है जो प्रदूषण के स्तर को न के बराबर करने में सहायक हों। इस शोध में जेएडएसआई औरसीडीआरआई के विश्ेाषज्ञ मिलकर काम करेंगे।
इस समय स्टेटस सिंबल या फिर व्यापार बढ़ाने के लिए लोग विदेशी जलीय जीवों को मंगाते हैं। लेकिन ये विदेशी जलीय जीव भारतीय प्रजातियों के लिए खतरा बन रहे हैं। जेंट अफ्रीकन स्नेल को ब्रिटिश व जापानी लोग भारत लेकर आए और इसकी वजह से भारतीय घोंघा विलुप्त हो गया। अब पूरे देश में अफ्रीकन घोंघा ही पाया जाता है।