चमनगंज में हुई पुलिस कार्रवाई के बीच ही व्हाट्सएप पर एक पोस्ट वायरल हुआ जिसमें लिखा है कि एमआईएम के लीडर साहब आलम को पुलिस ने उठा लिया है। उनको पुलिस कहां ले गई, कुछ नहीं पता। इस पोस्ट में और भी भडक़ाऊ बातें लिखी हैं। पुलिस ने दावा किया है कि किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया है। इस पोस्ट के बारे में भी जांच शुरू कर दी है।
सीएए के विरोध में प्रदर्शन हो या फिर हिंसा, इसमें शुरू से ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया है। मोहम्मद अली पार्क में चल रहे प्रदर्शन में भी इसका खुलासा हुआ है। प्रदर्शन में शामिल लोगों को दिल्ली के शाहीन बाग के प्रदर्शन के वीडियो भी भेजे जा रहे हैं। उसी तरह से यहां भी सडक़ों पर चादर आदि बिछाकर महिलाएं व अन्य लोग धरने पर बैठे हैं। इन सभी पर एफआईआर दर्ज हो सकती है।
सोशल मीडिया पर भडक़ाऊ पोस्ट डालने वालों का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि उनके संबंध किन-किन संगठनों से हैं। अभी तक कानपुर में सीएए को लेकर हुई हिंसा में पीएफआई और एआईएमआईएम से जुड़े लोगों का हाथ होने के सुबूत मिले हैं। इसके अलावा और भी कई राजनीतिक संगठन इस आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है।