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आलू के बीज के उत्पादन से करोड़ों की कमाई, किसानों के बीच लोकप्रिय यह बीज

locationकानपुरPublished: May 15, 2022 07:47:48 am

Submitted by:

Narendra Awasthi

आलू से करोड़ों की कमाई करने वाले शिवम को सीएसए में सम्मानित किया गया। बीटेक की पढ़ाई कर चुके शिवम ने सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट मेरठ से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जहां पर उन्होंने आलू के बीजों का उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। आज आलू पैदावार के खेत में शिवम का बड़ा नाम है।

आलू के बीज के उत्पादन से करोड़ों की कमाई, किसानों के बीच लोकप्रिय यह बीज

आलू के बीज के उत्पादन से करोड़ों की कमाई, किसानों के बीच लोकप्रिय यह बीज

आलू से करोड़ों की कमाई करने वाले 21 वर्षीय शिवम तिवारी का आज बड़ा नाम है।जिसने आलू के बीज का उत्पादन करके जहां किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करा रहे हैं। वही यह बताने की भी कोशिश कर रहे हैं कि खेती के माध्यम से भी अच्छी कमाई की जा सकती है। शिवम तिवारी आज 200 एकड़ भूमि पर आलू के उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन कर रहे हैं। इटावा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर चुके शिवम अब चिप्स का प्लांट लगाने जा रहे हैं। उद्देश्य किसानों से आलू खरीद कर उनके इनकम को बढ़ाना है।

 

इटावा जिले के नावली गांव निवासी शिवम कुमार तिवारी की उम्र केवल 21 साल है। 2019 में बीटेक करने के दौरान उन्हें प्रशिक्षण के लिए सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट मेरठ भेजा गया। जहां उन्होंने आलू के बीजों के उत्पादन के विषय में जानकारी प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने 30 एकड़ जमीन पर आलू के बीजों का उत्पादन शुरू किया। मेरठ स्थित सीपीआरआई से माइक्रो प्लांट लाकर उन्हें अपने लैब में विकसित करते हैं। शिवम के अनुसार एक पौधे से 5 पौधों का निर्माण होता है और फिर इन पांच पौधों को सीसी में लगाकर बड़ी संख्या में पौधे तैयार किए जाते हैं।

माइक्रो प्लांट मेरठ से लाए जाते हैं

शिवम तिवारी ने बताया कि एक माइक्रो प्लांट से 5 हजार पौधे तक बनाए जा सकते हैं। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर महीने में इन पौधों को ग्रीन नेट हाउस में रखा जाता है। 10 दिन बाद इन पौधों में मजबूती आ जाती है और इन्हें ग्रीन नेट हाउस से निकालकर वाइट ग्रीन हाउस में लगा दिया जाता है। फरवरी महीने में पौधों से बीज निकलने लगते हैं। शिवम तिवारी ने बताया कि उनके पास वर्तमान में कुफरी बहार, कुफरी संगम, फ्राई होम, सुखी यारी आदि एक दर्जन से ज्यादा प्रजातियों के बीजों का उत्पादन हो रहा है। शिवम तिवारी ने बताया कि टिशू कल्चर लैब में विकसित होने वाले डीजे में रोक लगने की संभावना काफी कम होती है। इसीलिए इनकी डिमांड ज्यादा है।

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