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मां के गर्भ में नवजात को मिलेगी धार्मिक शिक्षा और संस्कार

locationकानपुरPublished: May 11, 2019 12:45:53 am

Submitted by:

Vinod Nigam

कानपुर मेडिकल कॉलेज स्थित जच्चा-बच्चा अस्पताल में प्रसुताओं को दी जा रही धार्मिक शिक्षा और दिक्षा ,जन्म के बाद बच्चे के अंदर आएंगे अच्छे संस्कार।

Pregnant women will worship and read religious books

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कानपुर। महाभारत की कथा में कहा गया है कि अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदने की कला पिता के मुख से सुनकर सीख ली थी। ….. और अब मेडिकल साईन्स ने अपने एक रिसर्च के दौरान इस सच्चाई पर मुहर लगा दी है। कानपुर के मेडिकल कॉलेज स्थित अपर इंडिया अस्पताल में अब प्रग्नेंट महिलाएं पूजा-पाठ, कुरआन की आयतें, पवित्र गुरूग्रन्थ साहिब का पाठ करेंगी। जो महिला जिस धर्म से संबंध रखती है, वह अपने-अपने हिसाब से धार्मिक पुस्तकों को यहां पढ़ सकती है।

शोध के जरिए खुलाशा
फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गाइनेकोलॉजिकल सोसाइटी यानी एफओजीएसआई के विशेषज्ञ ‘‘अद्भुत मातृत्व’’ की रिसर्च के बाद एक चौकानें वाला खुलाशा किया है। अपर इंडिया अस्पताल स्थित संस्कार शाला में आईएमए अध्यक्ष और उनकी टीम के साथ सीएसजेएमयू की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता की मौजूदगी में विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि दम्पत्ति अपने बच्चे को दुनिया में आने से पहले जैसा चाहें वैसा बना सकते हैं। बेहतर होगा कि इसके लिये मां धार्मिक वातावरण में रहें। यदि वो ऐसा करती हैं वो बच्चे के अंदर अच्छे संस्कार आएंगे।

इस लिए पढ़ें धार्मिक पुस्तकें
गायनोकोलाजिस्ट डॉक्टर संगीता सारस्वत बताती हैं कि चौथे माह से गर्भस्थ शिशु की मस्तिष्क की कोशिकाऐं तेजी से विकसित होती हैं। विकास की यह प्रक्रिया हर मिनट की दर से होती हैं। इस अवधि में बच्चे के अवचेतन मस्तिष्क के सूचनाऐं एकत्र होती रहती हैं। जब वो जन्म लेकर दुनिया में आता है, तो ये सूचनाऐं गुण-अवगुण का रूप लेकर उसके व्यक्तित्व में जुड़ जाती हैं। ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को घर य अस्पताल में धार्मिक श्लोकों के अलावा पूजा-पाठ करनी चाहिए।

50 महिलाओं ने कराया रजिस्टेशन
अब अस्पताल के विशेषज्ञों ने नियमित क्लासेज शुरू करने के साथ इस पर रिसर्च को बढ़ी कार्ययोजना बनाई है। रिसर्च प्रोजेक्ट इथिकल कमेटी के समक्ष विचाराधीन है। वैसे, इस संस्कारशाला में शामिल करने के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं का पंजीकरण शुरू हो गया है। पिछले दो दिन के अंदर करीब 50 से ज्यादा प्रसुताओं ने अपना रजिस्टेशन कराया है। विशेषज्ञों के मुताबिक संतुलित खान-पान, व्यायाम और योगा महिलाओं को जटिल प्रसव से बचाते हैं। सिजेरियन से महिलाएं बच सकती हैं।

बच्चों को संवरेगा भविष्य
अपर इंडिया अस्पताल की डॉक्टर सीमा द्धिवेदी के मुताबिक धार्मिक पुस्तकें संस्कारी बच्चे के जन्म में अहम भूमिका अदा करती हैं। गर्भावस्था के दौरान पॉजिटिव विचारधारा पैदा करने की जरूरत है। निगेटिव सोंच बच्चें को भी बीमार कर सकती है। अच्छी धार्मिक किताबें पढ़ने का भी असर पड़ता है। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर किरण पांडेय के मुताबिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार प्रेग्नेंट महिला जैसे विचार रखेंगी, जो पढ़ेंगी, जैसा खाना खाएंगी, जैसा स्वभाव रखेंगे, जो देखेंगी व सुनेंगी वैसे ही सभी गुण उसकी संतान में आ जाते हैं अगर मां खुश है तो उसके असर से अच्छे हार्मोन बनते हैं। अगर मां डरी है या चिंता में है तो खराब हारमोन बनेंगे। जिससे बच्चा भी निगेटिव सोंचवाला जन्म लेगा।

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