ये सुविधाएं प्रदान की जाती हैं इस कार्यक्रम में महिलाओं को उनके स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर अलग चिन्हित किया जाता है, जिससे डॉक्टर आसानी से समस्या का पता लगा सके। भारत सरकार ने इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सभी प्रकार की चिकित्सा सहायता निःशुल्क प्रदान करने का निश्चय किया है। प्रत्येक ब्लॉक में समस्त गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांचे जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरीन जांच, ब्लड ग्रुप, एच.आई.वी., सिफलिस, वजन, ब्लडप्रेशर, अल्ट्रासाउंड एवं अन्य जांचे निःशुल्क की गयीं। इसके अलावा टिटनेस का टीका, आयरन, कैल्शियम एवं आवश्यक दवाएं भी मुफ्त में प्रदान की गयीं। इसके साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें। वहीं पोषण, परिवार नियोजन आदि विषयों के बारे में भी परामर्श दिया गया।
सीएमओ ने दी सुरक्षित गर्भावस्था की जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी, डॉ. हीरा सिंह ने बताया कि यदि किसी गर्भवती महिला में 7 ग्राम से कम खून होता है तो उसको सीवियर एनीमिया की स्थिति में रखा जाता है। इसी प्रकार ब्लडप्रेशर 140 से ऊपर और मधुमेह का स्तर 120 से ऊपर रहता है तो ऐसी स्थिति में अपने स्वास्थ्य की अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि किसी गर्भवती महिला का उच्च जोखिम गर्भावस्था में होने का कारण समय से प्रसव पूर्व जांच न कराना, सही से खानपान और अपने स्वास्थय की देखभाल न होने के कारण से होती है। गर्भावस्था के समय महिलाओं को कम से कम चार प्रसव पूर्व जाँच करानी चाहिए और डॉक्टर से नियमित सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को घर में मौजूद भोजन सामग्री हरी सब्जियां, अंकुरित चने एवं दालें, गुड़ आदि को अपने खानपान में शामिल करना चाहिए। ताकि समय से खानपान और संतुलित आहार रखने से गर्भावस्था में अधिक समस्याओं का सामना न करना पड़े और बच्चा भी स्वस्थ और तंदरुस्त पैदा हो सके।