इतना ही नही इस स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर के न होने के चलते आशा बहू ने इस प्रसव को कराया। दरअसल गर्भवती के साथ लोगों ने जब भर्ती कराने की बात कही तो बेड खाली न होने की बात सामने आई। कुछ समय बाद प्रसव पीड़ा बढ़ने पर महिला का प्रसव हो गया। इन हालातों से साफ जाहिर होता है कि जनपद का स्वास्थ्य विभाग सरकार के सपनों को किस तरह पतीला लगा रहा है। बिना डॉक्टर के हुये इस प्रसव में जच्चा और बच्चा को किस तरह के खतरे का सामना करना पड़ा होगा।
वहीं तीमारदारों के मुताबिक अगर प्रसव आशा बहुओं को ही कराना है तो स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर्स का काम ही क्या है। फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों सुरक्षित होने पर तीमारदारों ने राहत की सांस पाई। वहीं इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर पवन कुमार ने बताया कि गर्भवती के देरी से पहुंचने की वजह से उसका प्रसव लेवर रूम के बाहर हुआ था, न कि सीएचसी गेट पर। हालांकि इसके बाद जच्चा बच्चा का परीक्षण किया गया, दोनों स्वस्थ है। साफ सफाई कर दोनों की देखरेख की जा रही है।