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राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी पर रोक, कानपुर में शुरू हुई गॉसिप

locationकानपुरPublished: Jun 07, 2018 11:52:30 am

राष्ट्रपति भवन में 11 साल बाद ऐसा मौका आया है, जबकि रायसीना हिल्स पर इफ्तार का आयोजन नहीं होगा

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राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी पर रोक, कानपुर में शुरू हुई गॉसिप

कानपुर . खबर मिली है कि देश के महामहिम रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले को मुसलमानों से परहेज से जोडक़र देखा गया, जबकि राष्ट्रपति भवन ने सफाई में कहा है कि करदाताओं के पैसे से पार्टी मनाने से परहेज है, इसलिए इफ्तार पार्टी पर रोक लगाई गई है। बहरहाल, राष्ट्रपति भवन में 11 साल बाद ऐसा मौका आया है, जबकि रायसीना हिल्स पर इफ्तार का आयोजन नहीं होगा। रामनाथ कोविंद के इस फैसले से कनपुरियों में गॉसिप शुरू होना लाजिमी है। आखिरकार रामनाथ कोविंद भी ठेठ कनपुरिया हैं। कोविंद के मोहल्ले गीतानगर से लेकर उनके परिचितों के बीच इफ्तार पर पाबंदी के फैसले की चर्चा है।

कलाम के कार्यकाल में नहीं हुई थी इफ्तार पार्टी


गौरतलब है कि वर्ष 2017 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के ही कार्यकाल में क्रिसमस पर होने वाली कैरोल सिंगिंग का भी आयोजन नहीं किया गया था। इससे पहले प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में इस पारंपरिक सेलिब्रेशन को मुंबई हमलों के चलते रद्द कर दिया था। हालांकि, इफ्तार पार्टी प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में होती रही थी। अब नए घटनाक्रम के मुताबिक, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस साल राष्ट्रपति भवन में प्रस्तावित इफ्तार पार्टी को रद्द कर दिया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से बताया गया है कि महामहिम का मानना है कि करदाताओं के पैसों से राष्ट्रपति भवन में किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा। आपको ध्यान होना चाहिए कि 11 साल बाद यह पहला मौका होगा जब राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं होगा। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम के कार्यकाल (2002-2007) में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं होता था। एपीजे अब्दुल कलाम के कार्यकाल में इफ्तार पार्टी पर होने वाले खर्च की रकम को गरीब और अनाथ लोगों की मदद में खर्च किया जाता था।
फैसले पर शुरू हुई बहस, कनपुरियों के तर्क बेजोड़

राष्ट्रपति कोविंद के मीडिया सचिव अशोक मलिक ने फैसले के संदर्भ में बताया है कि राष्ट्रपति भवन एक सेक्युलर स्टेट का मूर्त रूप है। धर्म और गवर्नेंस अलग हैं। टैक्स चुकाने वालों की रकम पर राष्ट्रपति भवन में किसी भी धर्म से जुड़ा त्योहार नहीं मनाया जाएगा। हालांकि, राष्ट्रपति देशवासियों को हर धर्म के त्योहारों पर शुभकामनाएं देंगे। राष्ट्रपति भवन परिसर में रहने वाले किसी भी अफसर या कर्मचारी पर कोई पाबंदी नहीं होगी। वह अपने धर्म से जुड़े त्योहारों को मनाने के लिए आजाद हैं। दूसरी ओर, कानपुर के भाजपा नेता शैलेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि फैसला दुरुस्त है। राष्ट्रपति होली-दीवाली अपने पैसों से मनाते हैं, ऐसे में सरकारी खर्च को रोकने के लिए इफ्तार पार्टी पर रोक से किसी को क्या दिक्कत। विहिप के जिलाध्यक्ष रविशंकर शुक्ला कहते हैं कि क्या कभी राष्ट्रपति ने सरकारी पैसों से सत्यनारायण की कथा सुनी है? ऐसा नहीं है तो सरकारी पैसों से इफ्तार पार्टी क्यों? इस मसले पर कांग्रेस के संदीप शुक्ला की राय जुदा है। उनका कहना है कि ऐन-केन-प्रकारेण भाजपाई मानसिकता वालों की कोशिश रहती है कि देश में मुसलमानों को कमतर और कमजोर होने का अहसास कराया जाए।
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