शिक्षा के जरिए करें खत्म
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डीएवी शताब्दी समारोह में पहुंचकर सबसे पहले पुलवामा आतंकी हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने शहीद प्रदीप सिंह की पत्नी व बेटी से मिल और उन्हें फीस का राशि सौंपी। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ही नहीं पूरे विश्व में आतंकवाद एक बड़ी समस्या है। इसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। हम इससे शिक्षा रूपी हथियार से लड़ सकते हैं। गरीबी, अराजकता और नक्सलवाद की समस्या का समाधान शिक्षा के जरिए ही होगा। इसके लिए सभी को आगे आना होगा। बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार मिले इसके लिए अभिभावकों के साथ-साथ अध्यापकों को मिलजुल कर प्रयास करना होगा।
इसलिए हुई थी डीएवी कॉलेज की स्थापना
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 1874 में भारत में समाज सुधार के लिए आर्यसमाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानन्द सरस्वती के आदर्श का समाज बनाने के लिए ही डीएवी कालेजों की स्थापना हुई। इस गौरवशाली अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल होकर में प्रसन्न हूं। कहा, डीएवी कॉलेज से एक नहीं अनेक मेधा पढ़कर निकले और देश का अपने-अपने क्षेत्र में मान बढ़ाया। कहा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इसी कॉजेल में शिक्षा-दिक्षा ली और भारत के विकास में अहम योगदान दिया।
इन्हें भी किया याद
राष्ट्रपति ने कहा कि यहां शिक्षा प्राप्त पूर्व शिक्षक एवं पूर्व विद्यार्थियों की सूची बहुत लंबी भी है। उनमें से कुछ मांगों के नामों से ही पूरी परंपरा की झलक मिल जाती है। मुंशी राम शर्मा सोम उन्ही में से एक हैं। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, शालिग्राम शुक्ल और शिव वर्मा जैसे स्वाधीनता सेनानियों को इस कॉलेज के शिक्षकों का भी सहयोग मिलता है। सुरेंद्रनाथ पांडेय, ब्रह्मदत्त और महावीर सिंह जैसे पूर्व विद्यार्थियों का नाम स्वाधीनता सेनानियों में आदर्श के रूप में लिया जाता है। यहां विज्ञान के क्षेत्र में आत्माराम, साहित्य के क्षेत्र में गोपाल दास नीरज और आरसी बाजपेई ने डीएवी कालेज कानपुर का नाम रोशन किया।
याद कर भावुक हुए राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने बताया कि 1969 में मेरे समय में विधि की पढ़ाई भी इसी परिसर में होती थी। बहुत अ’छा समय था वह लेकिन वह समय बहुत जल्दी बीत गया। मुझे आज भी कुछ स्मृतियां ताजा हैं। इस दौरान वो बोलते-बोलते भावुक हो गए। राष्ट्रपति ने कहा कि उन दिनों हॉस्टल का वातावरण अध्ययन की दृष्टि से बहुत ही शांत होता था। परीक्षा के वक्त हम सभी छात्र ग्रीनपार्क मैदान में बैठकर तैयारी किया करते थे। शाम के वक्त समय मिलने पर पैदल ही आन्देश्वर मंदिर जाकर भगवान शंकर की पूजा किया करते थे।
इन्हें किया सम्मानित
राष्ट्रपति ने कर्नल हरविंदर सिंह को वीरेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, दीपक कुमार को जगेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, मारिया जबीन को धार रानी स्वर्ण पदक, प्रताप सिंह को वीरेंद्र स्वरूप स्वर्ण पदक, मोहम्मद उमर हयात को धारा रानी रजत पदक, तन्मय श्रीवास्तव को जगेंद्र स्वरूप रजत पदक समेत 2- छात्रों को सम्मानित किया। साथ ही अपने सहपाठी विद्यासागर शर्मा और हीरालाल से भी मिले। अपने मित्रों से वो गले मिले और करीब पांच मिनट तक बातें करते रहे।