गरीब और कमजोर व्यक्ति का डर दूर कीजिए आईआईटी के इंजीनियर्स को राष्ट्रभक्ति की घुट्टी पिलाने के अगले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर के वकीलों को दायित्व समझाए। उन्होंने कहाकि वकील ही समाज को दिशा देते हैं, लेकिन आज के दौर में गरीब और कमजोर व्यक्ति अदालत आने से डरता है। कारण यहकि कोर्ट-कचेहरी में फंसने के बाद उन्हें तमाम दिक्कतों से जूझना होता है, इसके साथ ही न्याय भी वक्त पर नहीं मिलता है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह देखकर दुख होता है कि न्याय हासिल करना भी महंगा हो गया है। ऐसे में वकालत के पेशे से जुड़े लोगों का दायित्व है कि गरीबों और कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए खुद आगे बढ़ें। ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि त्वरित न्याय मिले। इस दिशा में लोक अदालत और मध्यस्थ के जरिए मामलों को सुलझाने की पहल अनुकरणीय है।
तारीख लेने से बचें, बहस की आदत डालें राष्ट्रपति ने समझाया कि कोशिश होनी चाहिए कि मुकदमों को जल्द से जल्द निबटाया जाए। इसके लिए वकीलों को तारीख लेकर मुकदमों को लटकाने के बजाय बहस करने की आदत डालनी होगी। किसी भी सूरत में मुकदमों को लंबित रखने की प्रवृत्ति छोडऩी होगी। आए दिन छोटी-छोटी बातों पर हड़ताल करना भी उचित नहीं है। मामूली झगड़ों को मिल-बैठकर निबटाना चाहिए। उन्होंने कहाकि सवोच्च पद पर आसीन होने के कारण देश का प्रत्येक नागरिक समान है, ऐसे में देश के प्रत्येक हिस्से का वकील भी एक समान है, लेकिन कानपुर के प्रति विशेष अनुराग है। इसी कारण यहां के वकीलों से अपेक्षा भी ज्यादा है कि समाज की दिशा और विकास के लिए बढ़-चढक़र योगदान देंगे।