उपचुनाव में पूरा फोकस
17वीं लोकसभा के चुनाव ने प्रदेश में एक और चुनाव की बुनियाद रख दी है। लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे प्रदेश सरकार के चार में से तीन मंत्रियों के सिर जीत का सेहरा बंधा। इनके अलावा सपा व बसपा के विधायक भी जीते हैं। लोकसभा चुनाव जीतने वाले मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफे से रिक्त होने वाले 11 विधानसभा क्षेत्रों के अलावा हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक चंदेल को सजा होने के चलते वहां भी उपचुनाव होंगा। अब कांग्रेस उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी कर रही है। पार्टी की कोशिश है कि 2022 विधानसभा चुनाव से पहले होने 12 सीटों में होने वाले उपचुनाव को ध्यान में रखते प्रदेश में बूथ स्तर से लेकर अध्यक्ष तक बदलाव किया जाए। ताकि, पार्टी कार्यकर्ताओं में भरोसा पैदा किया जा सके।
12 तारीख कों मंथन
कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी 12 जून को रायबरेली में लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों और कोआर्डिनेटरों के साथ बैठक करेंगी। हार के कारणों की समीक्षा के साथ ही प्रियंका प्रदेश में पार्टी के पुनर्गठन पर भी मंथन करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हालिया लोकसभा चुनाव से पहले यूपी को दो भागों पूर्व और पश्चिम में बांट कर प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्र्य सिंधिया को इसकी जिम्मेदारी दी थी। बैठक में कानपुर जोन के प्रभारी रहे सिंधिया के अलावा कई अन्य नेताओं को भी बैठक में बुलाया गया है।
अजय कपूर पर लगा सकती हैं दांव
कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव प्रियंका गांधी गोविंदनगर सीट से तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर को टिकट दे सकती हैं। जबकि कांग्रेस के दूसरे कद्दावर नेता आलोक मिश्रा भी अपनी पत्नी के लिए टिकट दिलाए जाने के लिए अंदरखाने जुटे हुए हैं। जानकारों का मानना है कि आलोक मिश्रा श्रीप्रकाश जासयावल और पूर्व विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद का करीबी माना जाता है। पर लोकसभा चुनाव में ये दोनों पूर्वमंत्री चुनाव हार गए हैं। इसी के कारण अजय कपूर की दावेदारी ज्यादा मजबूत दिखती है।
दूसरे स्थान पर रहे थे कांग्रेस के अंबुज
नए परिसीमन के बाद बनी गोविंद नगर विधानसभा क्षेत्र का ज्यादातर एरिया किदवई नगर, महाराजपुर और कैंट विधानसभा क्षेत्रों में चला गया। गोविंद नगर नाम से विधानसभा सीट तो बरकरार रही लेकिन इसमें ज्यादातर क्षेत्र नया जोड़ा गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्यदेव पचौरी को 1,12,029 लाख वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस अंबुज शुक्ला 40,520 और बीएसपी निर्मल तिवारी को 28,795 वोट मिले। बतादें गोविंद नगर विधानसभा सीट पर दूसरी बार बाई-इलेक्शन होगा। पहली बार इस सीट पर उपचुनाव 2 बार कांग्रेस से विधायक रहे विलायतीराम कात्याल की हत्या हो जाने कारण हुआ था। कत्याल की 1988 में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उपचुनाव में भाजपा से बालचंद्र मिश्रा पहली बार विधायक बने थे।
लोधी को मिल सकता है टिकट
हमीरपुर जिले के बीजेपी विधायक अशोक कुमार सिंह चंदेल की विधानसभा सदस्यता भी चली गई है। अशोक चंदेल फिलहाल जेल में बंद हैं। चंदेल की सदस्यता खत्म होते ही अब विधानसभा की 12 सीटें खाली हो गई हैं। यहां भी कांग्रेस क्षत्रीय चेहरे पर दांव लगा सकती है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस लोकसभा के उम्मीदवार रहे प्रीतम लोधी को फिर से टिकट दे सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को 575122, बसपा के दिलीप कुमार सिंह को 326470 तो वहीं कांग्रेस के प्रीतम लोधी को114534 वोट मिले थें।
ददुआ के भाई पर लगा सकती हैं दांव
बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से भाजपा के मानिकपुर सीट विधायक रहे आरके सिंह पटेल ने सपा के श्यामाचरण गुप्ता को शिकस्त देकर कमल खिनाया। यहां से भाजपा के उम्मीदवार आरके पटेल को 4,77,926, श्यामाचरण को 4,18,988 और कांग्रेस प्रत्याशी बाल कुमार पटेल को मात्र 75,438 वोट मिले थे। आरके पटेल के सांसद चुने जाने के बाद मानिकपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। कुर्मी बाहूल्य इस सीट पर कांग्रेस दोबारा ददुआ के भाई बालकुमार पटेल पर दांव लगा सकती है। इसके अलावा दो अन्य नमों की भी पाठा के जंगलों में चल रही है।