महंगाई में बड़ा मुनाफा
प्याज के दामों में जब उछाल आता है तब प्याज की मारामारी शुरू हो जाती है। ऑफ सीजन में भी प्याज की मांग बढ़ जाती है, इसे स्टोर कर रखना भी आसान नहीं होता। आलू की तरह ही यह भी जल्दी सडऩे लगता है। ऐसे में प्याज-लहसुन की संरक्षित खेती किसानों को मुनाफा दे सकती है। प्याज और लहसुन की नई प्रजातियों की पॉलीहाउस में खेती से औषधीय गुणवत्ता बरकरार रहती है। पूरे साल किसान इससे आमदनी ले सकते हैं। 20 गुणा 10 मीटर के पॉलीहाउस में 25 हजार रुपए प्रति महीने का मुनाफा संभव है।
प्याज के दामों में जब उछाल आता है तब प्याज की मारामारी शुरू हो जाती है। ऑफ सीजन में भी प्याज की मांग बढ़ जाती है, इसे स्टोर कर रखना भी आसान नहीं होता। आलू की तरह ही यह भी जल्दी सडऩे लगता है। ऐसे में प्याज-लहसुन की संरक्षित खेती किसानों को मुनाफा दे सकती है। प्याज और लहसुन की नई प्रजातियों की पॉलीहाउस में खेती से औषधीय गुणवत्ता बरकरार रहती है। पूरे साल किसान इससे आमदनी ले सकते हैं। 20 गुणा 10 मीटर के पॉलीहाउस में 25 हजार रुपए प्रति महीने का मुनाफा संभव है।
कम दिन और कम लागत
सीएसए में आयोजित एक सप्ताह के प्रशिक्षण में प्याज और लहसुन निदेशालय पुणे के निदेशक डॉ. मेजर सिंह ने बताया कि प्याज और लहसुन पॉलीहाउस में 40-45 दिन में तैयार हो जाती है। जबकि साधारण तरीके से फसल तैयार होने में पांच से छह माह लगते हैं। पॉलीहाउस में उत्पादन करने से लागत लगभग 30 पैसे प्रति किलोग्राम आती है और यह छह महीने तक खराब नहीं हो सकता है, मैदानी भागों में पालीहाउस में पूरे वर्ष इसका उत्पादन ले सकते हैं। डॉ. सतीश एस पाटिल ने लताओं वाली सब्जियों की फसलों के बारे में जानकारी दी। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने आए अतिथि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में निदेशक शोध डॉ. एचजी प्रकाश, संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह, डॉ. राजीव, डॉ. खलील खान और डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
सीएसए में आयोजित एक सप्ताह के प्रशिक्षण में प्याज और लहसुन निदेशालय पुणे के निदेशक डॉ. मेजर सिंह ने बताया कि प्याज और लहसुन पॉलीहाउस में 40-45 दिन में तैयार हो जाती है। जबकि साधारण तरीके से फसल तैयार होने में पांच से छह माह लगते हैं। पॉलीहाउस में उत्पादन करने से लागत लगभग 30 पैसे प्रति किलोग्राम आती है और यह छह महीने तक खराब नहीं हो सकता है, मैदानी भागों में पालीहाउस में पूरे वर्ष इसका उत्पादन ले सकते हैं। डॉ. सतीश एस पाटिल ने लताओं वाली सब्जियों की फसलों के बारे में जानकारी दी। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने आए अतिथि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में निदेशक शोध डॉ. एचजी प्रकाश, संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह, डॉ. राजीव, डॉ. खलील खान और डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह आदि मौजूद थे।