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३० पैसे प्रति किलो की लागत से ४५ दिन में उगाएं प्याज-लहसुन

locationकानपुरPublished: Mar 17, 2019 01:07:36 pm

संरक्षित खेती से तैयार फसल छह माह तक नहीं होती खराबपाली हाउस में पूरे साल लिया जा सकता है इसका उत्पादन

onion and garlic cultivation

३० पैसे प्रति किलो की लागत से ४५ दिन में उगाएं प्याज-लहसुन

कानपुर। हर रसोई में खास बन चुका प्याज और लहसुन किसानों को मोटा मुनाफा दे सकता है। बशर्ते इसकी खेती संरक्षित तरीके से की जाए। चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने प्याज और लहसुन की संरक्षित खेती की नई प्रजातियां तैयार की हैं। जिनमें महज ४५ दिन में फसल को तैयार किया जा सकता है।
महंगाई में बड़ा मुनाफा
प्याज के दामों में जब उछाल आता है तब प्याज की मारामारी शुरू हो जाती है। ऑफ सीजन में भी प्याज की मांग बढ़ जाती है, इसे स्टोर कर रखना भी आसान नहीं होता। आलू की तरह ही यह भी जल्दी सडऩे लगता है। ऐसे में प्याज-लहसुन की संरक्षित खेती किसानों को मुनाफा दे सकती है। प्याज और लहसुन की नई प्रजातियों की पॉलीहाउस में खेती से औषधीय गुणवत्ता बरकरार रहती है। पूरे साल किसान इससे आमदनी ले सकते हैं। 20 गुणा 10 मीटर के पॉलीहाउस में 25 हजार रुपए प्रति महीने का मुनाफा संभव है।
कम दिन और कम लागत
सीएसए में आयोजित एक सप्ताह के प्रशिक्षण में प्याज और लहसुन निदेशालय पुणे के निदेशक डॉ. मेजर सिंह ने बताया कि प्याज और लहसुन पॉलीहाउस में 40-45 दिन में तैयार हो जाती है। जबकि साधारण तरीके से फसल तैयार होने में पांच से छह माह लगते हैं। पॉलीहाउस में उत्पादन करने से लागत लगभग 30 पैसे प्रति किलोग्राम आती है और यह छह महीने तक खराब नहीं हो सकता है, मैदानी भागों में पालीहाउस में पूरे वर्ष इसका उत्पादन ले सकते हैं। डॉ. सतीश एस पाटिल ने लताओं वाली सब्जियों की फसलों के बारे में जानकारी दी। कुलपति प्रो. सुशील सोलोमन ने आए अतिथि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया। कार्यक्रम में निदेशक शोध डॉ. एचजी प्रकाश, संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह, डॉ. राजीव, डॉ. खलील खान और डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
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