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जरूरी नहीं कि थायराइड का हर मरीज दवा खाए, दूसरे तरीके से करें कंट्रोल

locationकानपुरPublished: Feb 23, 2020 03:41:02 pm

१० प्वाइंटर तक थायराइड होने पर केवल मोटापे पर नियंत्रण से होगा इलाजऑपरेशन में चीरा लगाने की जरूरत नहीं, अब कॉस्मेटिक सर्जरी संभव

जरूरी नहीं कि थायराइड का हर मरीज दवा खाए, दूसरे तरीके से करें कंट्रोल

जरूरी नहीं कि थायराइड का हर मरीज दवा खाए, दूसरे तरीके से करें कंट्रोल

कानपुर। आमतौर पर थायराइड रोगी बीमारी की शुरूआत में ही दवा का सेवन करने लगता है, यह सोचकर कि अभी शुरूआत है तो समय पर दवा शुरू करेंगे तो जल्दी राहत मिलेगी। और तो और डॉक्टर भी दवा लिखने में आगे रहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। डॉक्टरों को भी दवा तब लिखनी चाहिए जब जरूरत हो। दरअसल थायराइड में एक मानक के बाद ही दवा लेनी चाहिए। उससे कम होने पर दवा खाने की जरूरत नहीं, बल्कि दूसरे तरीकों से थायराइड पर नियंत्रण करना चाहिए। यह स्थाई लाभ देता है।
क्यों होता है थायराइड
आजकल कई लोग थायराइड बीमारी से पीडि़त हैं। थायराइड में वजन बढऩे के साथ हार्मोन असंतुलन भी हो जाते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, थायराइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं।
थायराइड के लक्षण
हाइपरथायरायडिज्म में वजन घटना, गर्मी न झेल पाना, ठीक से नींद न आना, प्यास लगना, अत्यधिक पसीना आना, हाथ कांपना, दिल तेजी से धडक़ना, कमजोरी, चिंता, और अनिद्रा शामिल हैं। हाइपोथायरायडिज्म में सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गति, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिकचक्र और इन्फर्टिलिटी के लक्षण दिखाई देते हैं।
१० प्वाइंट तक दवा ना लें
जांच में थायराइड में थोड़ी कमी या बढ़ोतरी हो तो घबराएं नहीं। जांच रिपोर्ट में 10 प्वाइंट तक थायराइड इधर-उधर है तो दवा खाने की जरूरत नहीं है। इसका सामान्य मानक कम से कम 0.5 से 4.5 प्वाइंट तक है। लोग 4.5 प्वाइंट से थोड़ा ऊपर होते ही दवाएं शुरू कर देते हैं। डॉक्टर भी दवा लिखने में आगे रहते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। 10 प्वाइंट तक थायराइड है तो सिर्फ मोटापे पर नियंत्रण करें, यह सामान्य हो जाएगा।
थायराइड के कारण
आरएमएल इंस्टीट्यूट लखनऊ के हॉरमोन रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष ने बताया कि खराब जीवनशैली के साथ ही मोटापा,अनिद्रा और खानपान इसकी बड़ी वजह है। कही। वह हैलट के मेडिसिन विभाग में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों से मुखातिब थे। उन्होंने सब क्लीनिकल हाइपो थायराइडिज्म पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला का आयोजन एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन ऑफ इंडिया की कानपुर ब्रांच ने किया। चेयरपर्सन प्रो. रिचा गिरि और सचिव डॉ. एसके गौतम ने उद्देश्यों पर चर्चा की। डॉ. एसके गौतम ने संचालन किया।
कॉस्मेटिक सर्जरी संभव
कार्यशाला के दौरान डॉ. कुकरंजन सिंह ने बताया कि थायराइड की कॉस्मेटिक सर्जरी संभव है। अब गले में चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। मुंह के अंदर से ही इंडोस्कोपी के जरिए सर्जरी संभव है या कंधे के चीरे और सीने के पास से एक दो इंच का चीरा लगाकर थायराइड ग्लेंड की सर्जरी की जा सकती है।
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