पैदच मार्च निकाला
जुमे की नमाज के बाद शहर की मस्जिदों के बाहर नमाजियों ने नागरिकता बिरहा विरोध किया तो वहीं एमआईएमआई के सैकड़ों कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए और रूपम टॉकीज से पैदल मार्च निकाला। केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शनकारी जिलाधिकारी के कार्यालय पहुंचे और उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भेदभाव का आरोप लगातंे हुए इस बिल को तत्काल वापस लेने की मांग की।
संविधान के खिलाफ
एमआईएमआई के नेता फैसल इकबाल ने कहा कि जो बिल संसद से पास कराया गया है, वह संविधान की धारा 14 के खिलाफ है। धारा 14 लोगों को समानता का अधिकार देता है। कहा, हमारे देश के संविधान की खूबसूरती यह है कि मजहब की बुनियाद राष्ट्रीयता तय नहीं करता। पार्टी प्रमुख ओवैसी ने बिल का कड़ा विरोध किया है और पार्टी सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन करती रहेगी।
मस्जिदों से तकरीरें
वहीं शहर की कुछ मस्जिदों में नागरिकता बिल के विरोध में तकरीरे की गई तो कई स्थानों पर नमाजियों ने नमाज के बाद बाहर आकर प्रदर्शन किया। इस दौरान सभी मस्जिदों के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। वहीं यतीमखाना चैराहे पर मोहम्मदी यूथ ग्रुप में प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। इसी तरह बाबू पुरवा में शहर काजी मौलाना रियाज हशमती के नेतृत्व में विरोध जताया गया और जूही लाल कॉलोनी की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया गया।अनेक स्थानों से इसी तरह के प्रदर्शन किए गए।
जारी रहेगा प्रदर्शन
नवाबगंज की मस्जिद के मौलाना सोहेल रजा ने बताया कि बरेली से विरोध प्रदर्शन की शुरूआत हुई है और पूरे मुल्क में चलेगी। हुकूमत अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें वरना हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। मौलाना ने कहा कि हम गांधी जी के बताए रास्ते अंहिसा रूपी हथियार के जरिए अपना प्रोटेस्ट करेंगे। मौलाना ने कहा कि हम डरने वालों में नहीं है। मुल्क और संविधान के लिए हम अपनी बात सरकार तक पहुंचा रहे हैं। सरकार को नागरिकता संशोधन बिल पर अपना फैसला बदलना होगा। मुसलमान अब चुप नहीं बैठेगा।
क्या है नागरिका संसोधन बिल
बतादें, नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया, जिस पर करीब छह घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए। मालूम हो कि इस बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। बिल को देश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से मंजूरी मिल चुकी है।