इस वजह से होती है ये समस्या डॉ. फहीम ने बताया कि घुटने में साफ्ट टिश्यू अर्थात एक गद्देदार परत होती है, जिसे कार्टिलेज कहते हैं। यही कार्टिलेज घिसने या क्षतिग्रस्त होने से हड्डियां आपस में रगडऩे लगती हैं। इसकी वजह घुटने में दर्द एवं घुटने जाम होने लगते हैं। ऐसे मरीजों को पीआरपी देने पर घुटने की सतह पर फिर से चिकनाई की परत बनने लगती है। इस तरह कार्टिलेज री-जेनरेट होने लगता है। इस थेरेपी से 95 प्रतिशत मरीजों को दर्द से राहत मिल जाती है। घुटने के दर्द से परेशान कानपुर विजय नगर के डा. जाफरी, टखने के दर्द से पीड़ित इफ्तिखाराबाद निवासी मो. आकिफ, कंधा दर्द से ग्रसित लाटूश रोड कानपुर निवासी देवब्रत के लिए पीआरपी थेरेपी वरदान बनी।
स्वयं के खून से तैयार किया इंजेक्शन डॉ. फहीम के मुताबिक गठिया से परेशान हो चुके मरीजों का खून लेकर उससे पीआरपी तैयार किया गया। फिर उस पीआरपी को इंजेक्शन के जरिए घुटने या जोड़ों के अंदर पहुंचाया गया। ये प्रक्रिया दो बार दी गई। किसी को समस्या ज्यादा होने पर कुछ को तीन बार भी इंजेक्शन देना पड़ा। इससे दर्द से पूरी तरह से राहत मिल गई। जिन मरीजों को घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी गई थी, इस थेरेपी से ऐसे मरीजों को भी आराम मिल गया। उन्होंने बताया कि जिनके घुटने खराब हो चुके हैं, जो व्हील चेयर या छड़ी लेकर चलते हैं, जो कंधा, घुटना, टखना व कोहनी की समस्या से पीड़ित हैं उनके लिए बहुत ही लाभदायक है।