कराची में पापा ने किया था निकाह
मुलरूप से नवाबगंज स्थित एक किराना कि दुकान चलाने वाले आशिफ के पिता अशरफ खान कन्नौज के रहने हैं। करीब 45 साल पहले वो कानपुर आकर बसे और कपड़ों का कारोबार करनें लगे। पांच साल के बाद उन्होंने चमड़े के जूते-चप्पलों के व्यवसाय में उतर गए और कारोबार के चलते उन्हें पाकिस्तान जाने का मौका मिला। वो कराची शहर निवासी मोहम्मद एहसान के घर पर रूके। इसी दौरान उनकी मुलाकात पड़ोसी फातिमा से हुई और दोनों के बीच दोस्ती और फिर प्यार हो गया। दोनों ने कराची में निकाह कर लिया। इसके बाद अशरफ अपनी पत्नी को लेकर कानपुर आ गए। अशरफ और फातिमा के पांच बेटे व दो बेटियां हैं। अशरफ के बड़े बेटे आशिफ, पुलवामा में आतंकी हमले की कड़ी निंदा कर कर रहे हैं। इतना ही नहीं,पाकिस्तान के खूंखार आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
तब मामा को लताड़ा था
आशिफ कहते हैं कि हम अमन पसंद हिन्दुस्तानी हैं। ये आतंकवादी हमारे देश के मासूम बच्चों को अपने खूंखार सगंठनों में भर्ती करते हैं और पाक सेना के जनरल इन आतंकवादियों की रक्षा करते हैं। आशिफ ने कहते हैं कि जब उरी में हमला हुआ था तब हमनें अपने मामा के अलावा उनके परिजनों को तलाड़ा था। हमनें तो यहां तक कह दिया था कि अगर पाकिस्तान के लोग इन आतंकवादियों व सेना के खिलाफ खड़े नहीं हुए तो एक न एक दिन आपका देश मिट्टी में मिल जाएगी। कहा, अब वो दिन आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारी फौज को खुली छूट दे दी है, जो पाकिस्तानियों को उनके घर के अंदर घुसकर मारेगी।
दो मामा आ गए थे कानपुर
आफिश बताते हैं कि मम्मी को लेकर पापा कानपुर आ गए। कुछ माह के बाद कराचीं से हमारे दो मामा भी शहर आ गए और वो पिछले 40 साल से नवाबगंज में रहते हैं। उनकी यहीं पर शादी हुई और प्राईवेट नौकरी के जरिए अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। आशिफ ने बताया कि अभी भी तीन मामा कराचीं में परिवार के साथ रहते हैं। उनसे तीज-त्योहार ही बात होती थी, लेकिन पुलवामा के बाद अपने उनसे सारे संबंध तोड़ लिए हैं। आशिफ ने बताया कि उनका जन्म कराचीं में हुआ था। जब महौल दोनों देशों का ठीक था, जब आना-जाना होता रहता था। लेकिन पिछले दस वर्षो से आना जाना बंद हैं।
फिर से सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत
आशिफ ने कहा कि हमें फिर से एक और सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। जिस तरह से 2016 में उरी में हमारे सैनिकों ने सैन्य शक्ति दिखाते हुए सैकड़ों आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था। उसी तरह से आतंकियों को चुन-चुनकर मौत के घाट उतार देना चाहिए। आशिफ कहते हैं कि इस तरह के हमलों से देश कमजोर होने वाला नहीं है। अब इन दहशतगर्तों की खैर नहीं है। इनको पूरी ताकत से सबक सिखाया जाएगा। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में बृहस्पतिवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। लगभग दो दर्जन जवान जख्मी हैं।