सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जांच में पकड़े गए 17 आधार आईडी में से 2 आईडी दूसरे जिलों की हैं. इसे फर्जी राशन कार्ड आईडी में अपडेट किया गया और अन्य जिले के व्यक्ति के माध्यम से थंब इंप्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद राशन निकाला गया. वहीं पुलिस अभी तक 17 आधार आईडी किस व्यक्ति की हैं यह पता नहीं लगा पाई है. जबकि 4 कोटेदार गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से स्टे भी ले आए हैं. इंटिग्रा कंपनी के सर्किल हेड आशीष ने बताया कि मामले में एनआईसी द्वारा सॉफ्टेवयर अपडेट किया जा रहा है.
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की टीम जांच के लिए कानपुर आ सकती है. प्रदेश सहित कानपुर में सबसे ज्यादा 42 कोटेदार घोटाले में शामिल पाए गए हैं. यही नहीं सबसे ज्यादा राशन भी कानपुर में ही निकाला गया है. केंद्रीय आपूर्ति विभाग की टीम के कानपुर आने की संभावना को देखते हुए जिला आपूर्ति विभाग में अधिकारियों के होश उड़ गए हैं. वहीं केंद्रीय आपूर्ति विभाग की टीम ने लखनऊ में एनआईसी के साथ अपनी जांच शुरू कर दी है.
सॉफ्टवेयर अपडेट की वजह से कोटेदारों की दुकानों पर राशन लेने के लिए पहुंचे लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कोटेदारों को और न ही कार्ड धारकों को ये जानकारी दी गई कि 5 तारीख से राशन वितरण नहीं किया जा सकेगा. फिलहाल राशन कार्ड घोटाले में कई खामियां सामने आई हैं. खामियों को दूर करने के लिए एनआईसी द्वारा सॉफ्टवेयर अपडेट किया जा रहा है. 10 तारीख तक राशन वितरण रोका गया है.